नवरात्रि क्यों मनाई जाती है और 2023 में नवरात्री कब है? नवरात्री का महत्व क्या है? नवरात्री का आरम्भ कब होगा।नवरात्री २०२३ के बारे में आपके सभी प्रश्नों के जवाब हम इस आर्टिकल में देने वाले है।तो दोस्तों बने रहिये हमारे साथ और आर्टिकल को पूरा पढियेगा।
ज्यादातर लोगो को शायद ही पता हो की नवरात्रि का अर्थ क्या है और इसे कैसे मनाया जाता है?
दोस्तों नवरात्री हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है।और पुरे भारत में हर्ष-उल्लास से धामधूम से मनाया जाता है।देखा जाए तो नवरात्रि एक संस्कृत भाषा का शब्द है।जिसका मतलब होता है “नौ राते”।दोस्तों इन सभी 9 रातो के दौरान मां शक्ति/देवी के नौ रूपों की पूजा और अर्चना की जाती है।और बात की जाए दसवे दिन की तो उसे दशहरा कहा जाता है।
देखा जाए तो नवरात्रि पुरे साल में कुल 4 बार आता है।जिसमे पौष,चैत्र,आषाढ़,अश्विन महीने में हिन्दू पंचाग की पहली तिथि प्रतिपदा(एकम) से नवमी तक “Navratri” मनाई जाती है।
नवरात्री की 9 रातो में हिन्दू धर्म की 3 देविया सरस्वती,महासरस्वती और महालक्ष्मी की पूजा की जाती है।और माता देवी/शक्ति/महाकाली की नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है।इन समस्त 9 देविओ के बारे में विस्तार से हम इस आर्टिकल नवरात्रि इन हिंदी में आगे जानेंगे।
बहोत सारे भक्तो के मन में यह सवाल आता होगा की नवरात्रि का अर्थ क्या है या नवरात्रि का मतलब क्या है तो दोस्तों हम आपको बता दे की नवरात्रि का मतलब “नौ राते” होता है।नवरात्री हिन्दू धर्ममें एक महत्वपूर्ण भक्ति का पर्व है।इस पावन पर्व पर माता दुर्गाजी के नौ रूपों की भक्ति और आराधना की जाती है।इसलिए यह पर्व हिन्दू पंचाग की पहली तिथि प्रतिपदा(एकम) से नवमी तक यानी 9 दिन मनाया जाता है।
वेदों और पुराणों में माता दुर्गाजी को देवी यानी शक्ति का रूप माना गया है।जो असुरो यानी दानवो को मारकर श्रुष्टि की रक्षा करती है।नवरात्री के दौरान भक्त गरबा गाते है।अपने लिए सुखी जीवन और सुख समृद्धि की मनोकामना करते है।
देखा जाए तो नवरात्री साल में 4 बार आती है।नवरात्री के पावन पर्व पर पुरे भारत देश में कई जगह पर गरबा, धार्मिक कार्यक्रम और लोक मेलो का आयोजन होता है।
तो दोस्तों अब आप समज ही गए होंगे की नवरात्रि का अर्थ क्या है?
दोस्तों आपके मन में भी यह सवाल आया होगा की नवरात्रि क्यों मनाते है? तो दोस्तों माता दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया उसी ख़ुशी को मनाते हुए मां के भक्तो द्वारा नवरात्रि मनाई जाती है।
कोई पूजा करता है,कोई व्रत करता है,कई जगहों पर भगतो द्वारा गरबा खेलने का आयोजन होता है।और इस तरह पुरे भारत में धाम धूम से नवरात्रि का आरम्भ 2023 किया जाता है।
तो दोस्तों आप समज ही गए होंगे की नवरात्रि क्यों मनाई जाती है।चलिए अब नवरात्री मनाने के पीछे क्या कहानी है? वो जान लेते है।
दोस्तों आपके नवरात्री से जुड़े बहोत सारे सवालों के जवाब जानना चाहेंगे।जैसे की नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई?
या फिर नवरात्रि का इतिहास क्या है? दोस्तों आज हम नवरात्री की कहानी आपको बताने वाले है।
नवरात्री के पर्व से जुडी एक प्राचीन कहानी अनुसार माता दुर्गाजी ने महिषासुर नामके एक खतरनाक राक्षस का वध किया था। महिषासुर राक्षक एक भैस के रूप में था। महिषासुर असुर ने कड़ी तपस्या करके देवो को प्रसन्न करके देवो से अजय(जो कभी पराजित नहीं हो सकता) होने का वरदान ले लिए।
वरदान देने के बाद देवो को ऐसी चिंता होने लगी की यह महिषासुर राक्षस अपनी शक्तिओ का गलत इस्तमाल करेगा।और हुआ भी बिलकुल ऐसा ही। महिषासुर दानव बहोत बुरे काम करने लगा।अपनी शक्तिओ का गलाद इस्तमाल करने लगा।जहा देखो वहा आतंक फैलाने लगा।
महिषासुर राक्षस नरक का विस्तार करने लगा।और देखते ही देखते नर्क का दायरा स्वर्ग के द्वार तक कर दिया।यह देखके पुरे देवता गण शर्म लज्जा की स्थिति में आगये।और यही नहीं महिषासुर दानव इतना बेरहम था की उसने चन्द्र,सूर्य,अग्नि,इंद्र,वायु,वरुण,यम और अन्य देवताओ के सभी शक्तिया और अधिकार छीन लिए।और महिषासुर दानव स्वर्गलोक का राजा बन गया।
अब देवताओ की हालत ऐसी हो गयी की महिषासुर दानव के आतंक से वे पृथ्वीलोक पर विचरण करने लग गए थे।इस परेशानी का हल निकालने और महिषासुर दानव का खात्मा करने के लिए सभी देवतागण ने देवी दुर्गाजी प्रगट किया।ऐसा कहा जाता है की माता दुर्गाजी के प्रागट्य में सभी देवतागण की समान शक्तिया लगी थी।
महिषासुर दानव का नाश करने के लिए सभी देवतागण ने अपने अस्त-शस्त्र माता दुर्गा को दिए।जिससे मां दुर्गा की शक्तिओ में बहोत ज्यादा बढ़ गयी।एकम से लेकर नौमी तक देवी दुर्गा और महिषासुर दानव के बिचमे भयंकर युद्ध हुआ।और अंत में महिषासुर दानव का वध करके देवी दुर्गा का नया नाम महिषासुर मर्दिनी पडा।
तब से नवरात्रि की शुरुआत हुई और आजतक सप्टेम्बर और ओक्टोबर (अश्विन-आसो) मास में नवरात्री बड़े हर्ष उल्लास से पुरे भारत देश में नवरात्री मनाई जाती है।तो दोस्तों अब आप समाज ही गए होंगे की नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई?
देवी दुर्गा के नौ रूप
नवरात्री के दौरान मातारानी देवी दुर्गा के नौ रूप की पूजा होती है जिनके नाम और स्थान क्रमशः इस प्रकार है:
नवरात्री का पहला दिन – माँ शैलपुत्री
नवरात्री के पहले दिन को माता शैलपुत्री की पूजा आराधना की जाती है।शैलपुत्री मां हिमालय की बेटी है।उनके दाए हाथ में त्रिशूल और बाए हाथ में कमल का फुल होता है।
उनके माथे पर चन्द्र बिराजमान होते है।और उनका आसन नंदी है।तो दोस्तों इस तरह नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
नवरात्री का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी
नवरात्री के दुसरे दिन को माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना की जाती है।मां के दाए हाथ में माला,और बाए हाथ में कमंडल होता है।देवी माँ के वस्त्र सफ़ेद होते है।माँ की उपासना करने से भक्त को त्याग,तप,और वैराग्य में बढ़ोतरी होती है।और वो माँ का प्रिय भक्त बनता है।
नवरात्री का तीसरा दिन – माँ चंद्रघंटा
नवरात्री के तीसरे दिन को माँ चंद्रघंटा की पूजा आराधना की जाती है।माताजी ने अपने मस्तक पर चंद को धारण किया हुआ है।माताजी का सोने का है।माताजी ने अपने दस हाथोमे अलग अलग अस्त्र-शस्त्र धारण किये हुए है।और देवी चंद्रघंटा माताजी की सवारी बाघ पर होती है।
नवरात्री का चौथा दिन – माँ कुष्माण्डा
नवरात्री के चौथे दिन को माँ कुष्माण्डा की पूजा की जाती है।मातारानी के 8 भुजाये है।उनके एक हाथ में अमृत कलश है।माँ के मधुर हास्य से सृष्टि की उत्पत्ति हुयी है ऐसा कहा जाता है। माँ कुष्माण्डा सूर्य देवता को ऊर्जा प्रदान करती है।भगवान सूर्य देवता भी माँ कुष्मांडा के आदेश मुजब चलते है।
नवरात्री का पांचवा दिन – स्कंदमाता
नवरात्री के पांचवे दिन को देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है।स्कन्द मतलब कार्तिक।और वो कार्तिक की माता है।माँ के चार भुजाये है।देवी के दो हाथ में दो कमल पुष्प है।श्री कार्तिक उनकी गोद में बैठे हुए है।स्कंदमाता ने श्वेत वस्त्र धारण किये हुए है।
नवरात्री का छठा दिन – माँ कात्यायनी
नवरात्री के छठे दिन को माँ कात्यायनी की पूजा आराधना की जाती है।माताजी रुषी कात्यायन की पुत्री है।देवी सिंह पर सवारी करती है।माँ की चार भुजाये है।माँ कात्यायनी अपने भक्तो को धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष ऐसे चार फल प्रदान कराती है।
नवरात्री का सातवा दिन – माँ कालरात्रि
नवरात्री के सातवे दिन को देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है।नाम से ही पता चलता है की देवी माँ का वर्ण कृष्ण-श्याम है।शुभ-निशुम्भ का उद्हार करने के लिए माता पार्वती जी ने “कालरात्रि’ का अवतार लिया।माँ कालरात्रि की भक्ति करने वाले भक्त को किसीसे भय नहीं रहता।यह देवी शुभंकरी माँ के नाम से भी जानी जाती है।
नवरात्री का आठवा दिन – माँ महागौरी
नवरात्री के आठवे दिन को माँ महागौरी की पूजा आराधना की जाती है।वृषभ पर बिराजमान देवी महागौरी श्वेताम्बरधरा है।अर्थात उन्होंने श्वेत वस्त्र पहने हुए है।पौराणिक कथा अनुसार माँ महागौरी “राहू”का संचालन करती है।
नवरात्री का नौवा दिन – सिद्धिदात्री
नवरात्री के नौवे दिन को देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।देवी सिद्धिदात्री ने शंख,चक्र,गदा और कमल पुष्प का धारण किया है।देवी माँ का वाहन सिंह है।वे समस्त सिद्धिओ की प्रदाता है।मातारानी की उपासना देव,गंधर्भ और यक्षासुर भी करते है।
तारीख | पूजा |
15 अक्टूबर 2023 | मां शैलपुत्री की पूजा |
16 अक्टूबर 2023 | मां ब्रह्मचारिणी की पूजा |
17 अक्टूबर 2023 | मां चंद्रघंटा की पूजा |
18 अक्टूबर 2023 | मां कूष्मांडा की पूजा |
19 अक्टूबर 2023 | मां स्कंदमाता की पूजा |
20 अक्टूबर 2023 | मां कात्यायनी की पूजा |
21 अक्टूबर 2023 | मां कालरात्रि की पूजा |
22 अक्टूबर 2023 | मां सिद्धिदात्री की पूजा |
23 अक्टूबर 2023 | मां महागौरी की पूजा |
24 अक्टूबर 2023 | विजयदशमी (दशहरा) |
नवरात्री मतलब आध्यशक्ति की आराधना का पर्व।पुरे भारत में अलग अलग जगह पर कुल चार नवरात्री को मनाते है।
- चैत्र नवरात्रि : यह नवरात्रि चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिप्रदा(एकम) से चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी तक मनाया जाता है।
- आसो नवरात्रि(शारदीय नवरात्रि) : यह नवरात्रि आसो शुक्ल पक्ष प्रतिप्रदा(एकम) से आसो शुक्ल पक्ष नवमी तक मनाया जाता है।
- अषाढ़ी नवरात्रि(गुप्त नवरात्रि) : यह नवरात्रि अषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिप्रदा(एकम) से अषाढ़ शुक्ल पक्ष नवमी तक मनाया जाता है।
- शाकंभरी नवरात्रि : यह नवरात्रि पोष शुक्ल पक्ष अष्टमी से पूर्णिमा तक मनाया जाता है।
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नवरात्रि का महत्व् जितना माता के विभिन्न रूपों की आराधना का है उतना ही माताजी की आराधना के दौरान रखे हुए व्रत और उपवास का है।भगवान् की प्राप्ति तब ही शक्य बनती है जब दोनों बाबतो का पालन भक्त नियम अनुसार करे। navratri ka mahatva in hindi
नवरात्री के उपवास हरएक भक्त अपनी भक्ति और शक्ति के मुताबिक़ करता है.कोई भक्त कोई एक पहर को खाता है,तो कोई भक्त मात्र फलाहार करके मातारानी का व्रत रखता है।दोस्तों यदि आप गरबा खेलने को जाते हो तो आपको एक टंक खाके और दुसरे टंक उपवास करना ज्यादा योग्य रहेगा।
नवरात्रि के नौ दिन हम मनमे आने वाले गलत विचार,छल-कपट और इर्षा छोडके हम नौ दिन मानव कल्याण के कर्म करे।नवरात्री में व्रत रखने के पीछे का उद्देश मात्र माताकी आशीर्वाद पाना है।जो भक्त नवरात्री में माँ का व्रत करते है उनको अन्य उपवासों के प्रमाण में ज्यादा फल मिलता है।
आसो नवरात्री का समय एक प्रकृति की ऋतू काल है।जो जिव प्राणी और मनुष्य के लिए काफी कष्टदायक होता है।यदि इसी दिनों में भक्तो में जो आध्यात्मिक बिज बोये जाए तो उसका फल भक्तो को चोक्कस मिलता है।
नवरात्रि मातारानी की आराधना और उपासना के दौरान भक्तो की शारीरिक और मानसिक शुद्धि को बनाए रखने के लिए नवरात्रि के उपवास का महत्व बताया गया है।
उपवास का दूसरा मतलब यह होता है की माँ की पास रहना,यानि मातारानी के समीप रहना।माँ की तरह अपने मन को पवित्र करना,
दोस्तों भक्तो में पवित्रता और विशेष करके अपने आरोग्य का ध्यान रखने के लिए नवरात्रि के उपवास का महत्व बहोत ज्यादा है।
दोस्तों यह बात तो सब को पता चल चुकी है की हमारे सनातन हिन्दू धर्म में कोई भी पर्व या त्यौहार ऐसे ही नहीं मनाया जाता।प्रत्येक त्यौहार के पीछे वैज्ञानिक कारण और ऐतिहासिक महत्व जुडा होता है।
दोस्तों पुराने जमाने में भारत के लोग प्रकृति से बहोत ही नजदीक से जुड़े हुए थे।और इसी को ध्यान में रखते हुए हमारे पूर्वजो ने हिन्दू सनातन धर्म में आने वाले हर व्रत और त्योहार के रीती रिवाजो में पुरे साल में बदलता मौसम,शारीरिक विज्ञान को विशेष ध्यान रखते हुए हर त्योहार को मानाने का विशेष तरिका बनाया है।
सबसे ज्यादा चैत्र नवरात्री और शारदीय(आसो) नवरात्री मनाई जाती है।अब सवाल यह उठता है की नवरात्रि साल में दो बार क्यों मनाते है ? तो दोस्तों आप गौर करना की दोनों नवरात्री तब मनाई जाती है जब भारत में ऋतूओ का मौसम चेंज हो रहा होता है।
जिसमे मार्च और अप्रैल(चैत्र नवरात्री) और सप्टेम्बर-अक्टूम्बर(शारदीय आसो नवरात्री) इन दिनों मौसम का प्रभाव और सूर्यडेव की किरणों में ईएक संतुलन रहता है।इस दौरान पूजा करने पर हमारे शारीर में ऊर्जा का संतुलन बना रहता है।और हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ भी अच्छा बना रहता है।
इस दौरान लोग ज्यादा नमक और चीनी से बचते हैं, ध्यान करते हैं और सकारात्मक उर्जा ग्रहण करते हैं। इससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है साथ ही हमें और भी ज्यादा दृढ़ निश्चयी बनने में मदद मिलती है। यह बात अब सिद्ध हो चुकी है कि उपवास से हमारा आत्मविश्वास और स्व नियंत्रण बढ़ता है।
दोस्तों नवरात्रि में नौ दिनों तक व्रत होता है इसलिए हमारे शरीर को मौसम के हिसाब से ढलने का वक्त मिल जाता है।क्युकी इनदिनों हम उपवास करते है जिससे शरीर की कार्यप्रणाली व्यवस्थित हो जाती है।नवरात्री के उपवास के दौरान ज्यादातर भक्त नमकीन और मीठा खाने से बचते है।
दोस्तों उपवास के दौरान आत्मविश्वास बढ़ता है।और हम दृढ़ निश्चयी वाले बनते है।दोस्तों अब आप जान ही गए होंगे की नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक महत्व क्या है।
नवरात्री में माता दुर्गा की पूजा का बहोत ही महत्व बताया गया है।दोस्तों आज हम आपको नवरात्री के बारे वो सारी जानकारी उपलब्ध करा रहे जैसे की 2023 में नवरात्रि का शुभ योग मुहूर्त क्या है?,नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त कब है?? नवरात्रि के लिए पूजा सामग्री और नवरात्रि पूजा विधि कैसे करते है??चलिए स्टेप बाय स्टेप समज लेते है।
शारदीय नवरात्रि रविवार, अक्टूबर 15, 2023 | |
प्रतिपदा(एकम) तिथि प्रारम्भ | 15 अक्टूबर 2023 को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुभ मुर्हूत शुरू होगा। |
प्रतिपदा(एकम) तिथि समाप्त | 15 अक्टूबर 2023को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म होगा |
आश्विन घटस्थापना रविवार 15 अक्टूबर 2023 को:
शारदीय नवरात्रि 2023 घटस्थापना समय (Shardiya Navratri 2023 Ghatsthapana Muhurat)
- घटस्थापना मुहूर्त – घट स्थापना का समय निश्चित चित्रा नक्षत्र के दौरन ही होता है। ऐसे में इस दिन चित्रा नक्षत्र 14 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 24 मिनट से 15 अक्टूबर शाम 06 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।
- अभिजीत मुहूर्त- वहीं अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 04 मिनट से सुबह 11 बजकर 50 मिनट के बीच रहेगा, इसलिए घटस्थापना पूजा भी इसी अवधि में की जाएगी।
माँ दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, दुर्गा सप्तशती की किताब, आम की पत्तिया,लाल चुनरी, मिट्टी का बर्तन, पान के पत्ते, चावल, लाल कलावा, आम की पत्तियाँ, गंगा जल, चंदन, सुपारी, लौंग, इलायची, जौ के बीज, नारियल, कपूर, अबिल ,कंकू,गुलाल जैसी नवरात्रि के लिए पूजा सामग्री की जरुरत पड़ेगी।
आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें इसमें मां की आरती गाए, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं।
दोस्तों नवरात्री के प्रथम दिन आपको जल्दी उठाना होगा।स्नान करके स्वच्छ कपडे पहनने होंगे।जैसा आगे बताया वो सब सामग्री आपको बाजारसे खरीद कर लानी होंगी।अब वो पूजा की सामग्री से पूजा का थाल सजाना होगा।माता दुर्गाजी की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में रखना होंगा।
अब एक मिटटी का बर्तन ले और उसमे जौ के बिज बोये।और जौ के बर्तन में नवरात्री के नौ दिन पानी को डाले।विधि के मुताबिक़ शुभ मुर्हूत में कलश का स्थापन करे।कलश को गंगा जल से भरना होगा।
कलश की मुख पर आम पेड़ की पत्तिया बंधे।और कलश के ऊपर नारियर रखना होगा।अब कलश पर लाल कपड़ा लपेट ले और कलावा की मदद से बाँध ले।अब कलश को जौ के मिटटी के बर्तन के पास रख दे।
अब माता की प्रतिमा की अगरबत्ती,कंकू,अबिल,फुल,कपूर,और दिए के साथ पूजा करे।और अगले 9 दिनों तक माँ दुर्गा के मंत्र का जाप करना होगा।साथ ही साथ माँ की भजन,गरबा,भक्ति करके माँ दुर्गा से अपने जीवन में सुख समृधि की मनोकामना करे।
नवरात्री की अष्टमी या नवमी को दुर्गाजी के नौ रूपों की पूजा करके उन्हें अलग अलग प्रकार के मिठाई,हलवे का भोग लगाये।
अब आखिरी दिन माँ दुर्गा के पूजा करने के बाद माँ की आरती गाकर पानी में गट विसर्जन करना होगा।
चलिए जानते लेते हैं अगले पांच सालो तक किस दिन को नवरात्रि आने वाला है।
साल | तारीख | वार |
Navratri 2023 | 15 Octomber | रविवार |
Navratri 2024 | 3 Octomber | गुरूवार |
Navratri 2025 | 22 September | सोमवार |
Navratri 2026 | 11 Octomber | रविवार |
Navratri 2027 | 30 September | गुरूवार |
दोस्तों क्या आप भी दुसरे लोगो की तरह नवरात्री के पर्व पर Navratri status in hindi की खोज कर रहे है तो फिर आपकी खोज यहाँ हमारे इस लेख navratri wishes in hindi पर ख़त्म हो जायेगी क्यों की हमने आपके लिए Navratri status लिखे है।जिसका आप इस्तमाल कर सकते है।बस यहाँ से नवरात्रि स्टेटस कोपी कीजिये और अपने प्रिय को भेज दीजिये।
तो दोस्तों आपके लिए हाजिर है happy navratri wishes वो भी हिंदी भाषा में।इन्हें जरुर पढ़िए और शेयर कीजियेगा।
रूठी है तो मना लेंगे, पास अपने उसे बुला लेंगे,
मैया है दिल की भोली, बातों में उसे रिझा लेंगे।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
प्यार का तराना उपहार हो,खुशियों का नज़राना बेशुमार हो,
ना रहे कोई गम का एहसास,
ऐसा नवरात्र उत्सव इस साल हो।नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
हो आशा मेरी पूरी मातेश्वरी,
मेरे दिल में हो बसी मूरत तेरी,
काली तेरे रूप से तो काल भी घबराता,
ये तो है मेरी माता का पावन नवराता।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
हर पल ख़ुशी कदम चूमे,
नवरात्रि में हम सब मिलकर झूमे,
हो न कभी आपका दुःख से सामना,
यही है आपको नवरात्रि की शुभकामना।
जिंदगी की हर तमन्ना हो पूरी,
कोई भी आरजू ना रहे अधूरी,
करते हे हाथ जोड़कर माँ दुर्गा से बिनती,
की आपकी हर मनोकामना हो पूरी।
यही है आपको नवरात्रि की शुभकामना!
इस नवरात्रि मां दुर्गा आपको सुख समृद्धि वैभव और ख्याति प्रदान करें। जय माता दी। नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें।
नव दिप जलें नव फूल खिलें रोज़ माँ का आशीर्वाद मिले
इस नवरात्रि आपको वो सब मिले जो आपका दिल चाहता हैं
नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाये
माता रानी के कदम आपके घर में आएं,
आप खुशहाली से नहाये,
परेशानिया आपसे आँखे चुराए।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
कुमकुम भरे क़दमों से आए माँ दुर्गा आपके द्वार,
सुख संपत्ति मिले आपको अपार,
मेरी ओर से नवरात्रि की शुभकामनाएं करें स्वीकार
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपने क्या सिखा ??(In Conclusion)
तो दोस्तों हमारा ये इन्फर्मेशनल लेख नवरात्रि क्या है (What is Navratri in Hindi) कैसा लगा।अगर आपको लगता है की इस लेख नवरात्रि क्यों मनाई जाती है में कुछ सुधार करने की जरुरत है,तो आप हमें कमेन्ट बॉक्स में टिपण्णी कर सकते है।हमारी हमेशा यही कोशिश रहती है नवरात्रि का इतिहास के बारे में,हमारे पाठको को कुछ यूनिक जानकारी दी जाए।और पाठक को एक ही ब्लॉग पोस्ट में जो वो चाहता हो।उस विषय के सम्बंधित सारी जानकारी पढ़ने को मिले।इस से होगा ये की पाठक को कोई दुसरे ब्लॉग की पोस्ट पढ़ने की जरुरत ही नहीं रहेगी,जिससे पाठक का समय बचेगा।
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