geeta rabari biography in hindi: दोस्तों आज हम इस लेख में जानेंगे गुजरात में “कच्छकी कोयल” नाम से मशहूर लोकगायिका गीता ऱबारी का जीवन परिचय(Geeta Rabari Biography In Hindi)को.तो चलिए दोस्तों इस मोटिवेशनल लेख गीता रबारी की जीवनी को पढ़ते है.
गुजरात के कच्छ डिस्ट्रिक्ट के एक छोटे से गांव से एक मालधारी समाज की बेटी आती है और अपने मीठे स्वर से पुरे गुजरात को घेला करती है. दोस्तों में बात कर रहा हु गीता रबारी के बारे में जिनको लोक कच्छी कोयल के नाम से भी जानते है.गीता रबारी एक लोक गायिका और भजन कलाकार है.
आज सभी उनकी सफलता के बारे में बात करते है लेकिन लोग ये नहीं जानते के उनकी सफलता के पीछे कितना संघर्ष रहा है .दोस्तों आज आप इस आर्टिकल में जानेंगे की गीता रबारी ने कैसे अपनी संघर्ष भरी जिंदगी से अपनी महेनत और टेलेंट के दम पर एक बेहतरीन सफलता पायी?? ऐ सब जानने के लिए ए आर्टिकल पूरा पढ़ना होगा.
गीता रबारी शिक्षा, जाति,परिवार,पति, माता,पिता (Geeta Rabari Height, Weight,Family, Age, Husband,Cast)
पूरा नाम(Full Name) | गीता बेन ऱबारी |
जन्म(Born) | टप्पर,अंजार,कच्छ,गुजरात |
जन्म तारीख(Date Of Birth) | 31 दिसंबर 1996 |
परिवार(Family) | माता(Mother) –विन्जूबेन
पिता(Father) – कानजीभाई |
पती(husband) | पृथ्वी रबारी |
Height(लम्बाई) | 5 फिट 3 इंच |
वजन(Weight) | 65 किलो ग्राम |
उम्र(Age) | 27 साल (2023 तक) |
जाती(Cast) | मालधारी समुदाय |
कौन है गीता रबारी(who is geeta rabari)
तो दोस्तों कहानी की शुरुआत होती है,गुजरात के कच्छ जिल्ले के अंजार नाम के तहेसिल के एक छोटे से टप्पर नाम के गांव से.जहा 31 दिसंबर 1996 में गीता रबारी का एक मालधारी परिवार में जन्म हुआ.
उनके पिताजी का नाम कानजीभाई और उनकी माताजी का नाम विन्जूबेन है.गीता रबारी को बचपन से ही गीत गाने का बहोत शौख था.
गीताजी अपनी स्कुल में भी जब भी गाने का मौक़ा मिलता वो गा लेती,चलिए दोस्तों उनकी स्कुल की बात आई है तो ऐ भी आपको जानके अच्छा लगेगा की, गीताजी ने अपनी प्राथमिक स्कुल के एक फंक्शन में उन्होंने अपना पहला गीत “ बेटी हु में बेटी में तारा बनूँगी “ गाया था.ए गीत उनके शिक्षक वालजीभाई आहिर ने गाने को कहा था .तो दोस्तों ऐसे ही गीता को प्राइमरी स्कुल से ही शिक्षको का सपोर्ट मिलना शुरू हो गया था.
उस समय जो बाजू वाले गावो में जो कोई कलाकार का स्टेज प्रोग्राम हो तो गीता देखने को जाती थी.ए सब देखके उनके मन में सवाल आते की ए कलाकार कैसे गाते होंगे?? क्या में ऐसे स्टेज पे गा सकती हुह?? ऐसे कई सवाल गीता रबारि के मन में आते. ऐसे ही एक दिन एक स्टेज प्रोग्राम चालु था और गीता भी अपने फ्रेंड के साथ वो कलाकार का स्टेज प्रोग्राम देखने गयी हुई थी.
गीत गाने की शुरुआत – geeta rabari biography in hindi
तभी उनके फ्रेंड ने स्टेज पे जाके रिक्वेस्ट किया के मेरी फ्रेंड गीता है,जो स्कुल में बहोत अछा गाती है.इस तरह गीता को पहेली बार कोई बड़े स्टेज पर गाने का मौक़ा मिला. गीता ने भी इस सुनहरे अवसर का फायदा उठाया और बहोत अच्छा गाया.जो की सुनने वाले लोगो को बहोत पसंद आया और गीता को 500 रुपये का पुरस्कार मिला.
गीता रबारीने पैसे घर जाके अपनी माताजी को दिया तो उनके फेमिली मी सब चौक गए.क्योकि ए पहली बार था जब कोई उनकी फेमिली से स्टेज पे गाया हो.और उस समय में मालधारी समाज में एक स्त्री होके स्टेज पर गाना एक अलग ही हिम्मतभरा फैसला था.
और ए सब के बाद गीता रबारी ने अपने मम्मी पप्पा से बात की के मुझे कलाकार बनना है.घर में काफी चर्चा के बाद गीता को माताजी और पिताजी की तरफ से समाज के मर्यादा में रह कर,गीत गानेकी अनुमति मिल गयी ,और इस तरह उनका परिवार भी उनको सपोर्ट करने लगा.
गीता रबारी की संघर्षता की कहानी (Geeta Rabari Struggle Story)
गीताजी ने अपने जीवन में की हुई स्ट्रगल की बात करे तो,जब वो दो साल की थी तब उनके पिताजी को paralysis मतलब की लकवा हो जाता है. उनको घर चलाने के लिए अपने पाले हुई गाय ,भेसे सब बेच देनी पड़ती है.और घर की आर्थिक परिस्थिति बहोत ही खराब हो जाती है.
घर में कोई कमाने वाला नहीं था.क्यों की पिता कानजीभाई की गीता एक ही बेटी थी. गीता के दो छोटे भाईओ की पहेले ही मृत्यु हो चुकी थी.ऐसी संघर्ष भरी परिस्थिति में गीता की माताजी लोको के घर में काम करके जो पैसे मिलते उनसे घर का गुजरान चलाती थी.तो दोस्तों ऐसी संघर्षभरी परिस्थितिओ मे गीता जी का बचपन बिता है. दोस्तों कहते है ना “कदम अस्थिर हो उनको रास्ता नहीं मिलता और अड़ग मनके मुसाफिर को हिमालय भी नहीं नडता”
अन्य कलाकारों का भी साथ मिला
ए सबके बाद गीता जी अपने मामाजी के घर रहने चली जाती है. वहा कच्छ की लोकप्रिय गायक दिवालीबेन आहिर को रियाज करते देखती है. गीता तभी ठान लेती है की मुझे भी ऐसा बड़ा कलाकार बनना है.ऐसे उनको कलाकार बनने की प्रेरणा दिवालीबेन आहिर से मिली.
आगे जाके गीताबेन को दूसरा स्टेज शो मिलता है.उन शो में गीता बेन गीत गाती है “तारी पागडी ए मन मारू मोह्यु रबारि”. ऐसे वो आजू बाजू के गावो में छोटे छोटे स्टेज प्रोग्राम करने लगी. धीरे धीरे लोक् चाहना प्राप्त करने लगी और फिर उनको दुसरे गावो से बहोत ही स्टेज शो मिलने लगे.लेकिन सबसे बड़ा सवाल ए था की गीता के साथ वहा जाए कौन??
साहस बिना सफलता नहीं
बहोत बार ए होता था की घर की आर्थिक परिस्थिति खराब होने के कारण अपनी कोई वेहिकल या गाडी नहीं थी. वेहिकल ना होने के कारण दुसरे लोगो की भाड़े की गाडी मे प्रोग्राम करने के लिए जाना पड़ता था.लेकिन दोस्तों कहते है ना “साहस बिना सफलता नहीं”. फिर गीताजी अपने फेमिली में से भाई महेशभाई को अपने साथ ले जाती थी.हालांकि आजभी महेश भाई ही गीताजी के सभी स्टेज प्रोग्राम्स का मेनेजमेंट करते है,और ऐसे गीताजी की म्यूजिक जर्नी में भाई महेशभाई का बहोत बड़ा योगदान रहा है.
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एकदिन दिनाशाभाई भुन्गारिया नाम के व्यक्ति गीताजी के गीत सुनते है.और गीताजी के मीठे स्वर से वो प्रभावित होते है और गीता जी के गाने के टेलेंट को वो जान लेते है. “Raghav Digital” नामकी म्यूजिक कंपनी में “एकलो रबारी” नाम का गीत बनाते है .ए गीत पुरे कच्छ में बहोत ही फेमस हो जाता है.और मालधारी समाज से गीता जी को बहोत ही अभूतपूर्व सपोर्ट मिलता है.ऐसे गीताजी की सफलता की शुरुआत ए गीत से हुई ऐसा हम कह सकते है.
गीता ऱबारी रोणा शेरमा(Rona Serma Song)
दोस्तों दो तिन महीने बाद ऐसा हुआ की गीताजी की लाइफ ही बदल गयी.हुआ ए की गीताजी “Rona Serma” नाम का गीत बनाती है.और वो गीत इतना ज्यादा सुपरहिट होता है की आप सोच भी नहीं सकते,ए गीत से गीता रबारी पुरे गुजरात में फेमस हो जाती है .उनका फेन फोल्लोविंग बहोत ही बढ़ जाता है.
देखते ही देखते वो पुरे गुजरात में और देश विदेश में भी फेमस हो जाती है .दोस्तों ए गीत की लोकप्रियता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की,अभीतक जब ऐ आर्टिकल लिखा जा रहा है तब तक youtube पर इस गीत के 531M+ VIEWS आ चुके है.
तो है ना दोस्तों कमाल का सोंग दोस्तों यही गीत की वजह से ही गीता रबारीजी आप और हम सभी की प्रिय गायिका बन चुकी है.