Hindi short stories with moral for Kids 2023: दोस्तों आजके समय में जहा जिंदगी तेजी से भाग रही है,नानी और दादी की कहानियां भी छुट गयी लगती है।बच्चो के माता पिता को उतना समय नहीं मिल पाता की वह अपने बच्चो के साथ पर्याप्त समय बिता पाए।तो फिर सोचो की कहानिया सुनाने की बात तो दिमाग में कैसे आएगी भला।
आज के समय में अपने बच्चो के पालन पोषण को लेकर युवा मम्मी-पापा पर एक ख़ास किस्म का दबाव रहता है।क्यूंकि आजके समय में ज्यादातर लोग एकल परिवार में रहते है।देखा जाए तो माता पिता के पास समय की बहोत कमी है।और इलेक्ट्रिक गैजेट्स के दौर में अपने बच्चो को Moral Stories in Hindi सुनाने का समय ही नहीं मिल पाता है।
लेकिन सच तो यह है कि अपने बच्चों को कहानियां सुनाने से बच्चो के व्यक्तित्व पर बहोत ज्यादा असर पड़ता है। हिंदी कहानिया सुनने के बाद बच्चो में ऐसे कई तरह के बदलाव आते है।यह बदलाव उनके व्यक्तित्व के विकास के लिए बहोत ज्यादा महत्वपूर्ण है।
बच्चो को आप पक्षीओ की कहानी,जानवरों की कहानी,राजा रानी की कहानी,भूतों की कहानी,जंगल की कहानी जैसी कहानिया सूना सकते हो।दोस्तों बच्चो को हिंदी कहानियाँ सुनाना बहोत आसान है।आप चाहे तो किताब को पढ़कर कहानी सूना सकते हो।या फिर अपने मोबाईल से पढ़कर कहानी सूना सकते हो।
दोस्तों बच्चो को कहानिया(Short Moral Stories in Hindi) सुनाने के बहोत सारे फायदे है।जिसके बारे में इस आर्टिकल में हम आगे विस्तार से बात करने वाले है।
पहले के जमाने में बच्चो को कहानिया उनके बुजुर्ग दादा-दादी,नाना-नानी या माता-पिता ही सुनाया करते थे।लेकिन जमाने के साथ साथ बहोत सारे तौर तरीके बदल गए।आजके जमाने में बच्चे ज्यादातर समय Mobile और Computer में बिताते है।
दोस्तों यदि आप भी माता पिटा के तौर पर अपने बच्चो को कहानिया सुनाना चाहते है तो चिंता करने की कोई बात नहीं है।क्यूंकि हमारी इस आर्टिकल के माध्यम से यही कोशिश रहती है की आप अपने बच्चो को प्रेरणादायक कहानिया सुनाये।
तो चलिए दोस्तों बिना देरी किये प्रेरणादायक कहानियो को पढ़ते है और अपने प्यारे बच्चो को सुनाते है।
Short Stories in Hindi for Kids (2023)
आपके बच्चो को प्रेरणादायक कहानियों Short Stories of Hindi को बताने के लिए ही हमने यह आर्टिकल “Short Inspirational Stories in Hindi” लिखा है।यह हिंदी कहानिया लगभग हर आयुवर्ग के लोगो के लिए लिखी गयी है।

दोस्तों हमारी माने तो आप हमारे यही लेख से कहानिया पढ़कर अपने प्यारे बच्चो को सूना सकते है वह भी फ्री में।चलो बिना देरी किये हिंदी रोचक कहानिया पढ़ते है।
1. हीरे की खान की कहानी: Short Hindi Story with Moral
रतनपुर नाम का एक छोटा सा गाँव था। उस गांव के पास हीरे की खान थी। उस गांव में अलग-अलग घरों में एक भाई और एक बहन रहते थे। भाई अमीर था और बहन गरीब। बहन के दो बेटे थे। बड़े बेटे का नाम रोहन और छोटे बेटे का नाम मोहन है।

एक दिन की बात है। बहन का छोटा बेटा मोहन बीमार पड़ गया। बहन अपने बेटे के इलाज के लिए पैसे मांगने के लिए भाई के घर गई और भाई से कहा, “भाई, मेरा बेटा बहुत बीमार है। कुछ पैसे देकर मेरी मदद कर दो।” भाई ने सीधे तौर पर उसे पैसे देने से मना कर दिया। बहन आंसुओं के साथ घर लौट आई।
उस दिन मकर संक्रांति का पर्व था। उनका बड़ा बेटा रोहन पतंग का पीछा करते करते हीरे की खान तक पहुच गया। रोहन ने खदान की ओर देखा कि एक पत्थर चमक रहा है। वह पत्थर लेकर रोहन घर आया और माता को पत्थर दिखाया।
पत्थर देखकर माताजी ने कहा, “बेटा, यह पत्थर नहीं है, बल्कि एक बड़ा हीरा है।”हीरे को बेचकर उन्होंने बहुत पैसा कमाया और मोहन का इलाज करावाया।बचे हुए पैसो से व्यापार शुरू किया। उसमें बहुत लाभ होता था, इसलिए वह बहन अपने भाई से भी अधिक धनी हो गयी। यह देख भाई को जलन हुई और एक दिन भाई बहन के घर आया और बहन की हर बात चुपके से सुन ली।
अगले दिन भाई खदान में पहुंचा और खुदाई करने लगा। खुदाई के दौरान उसे एक हीरा मिला। उस हीरे को देखकर उसके मन में लालच उत्पन्न हो गइ।
वह सोचने लगा कि इतना खोदकर हीरा मिल जाए तो और खोदने पर कितने हीरे मिलेंगे? मैं गाँव के सभी लोगों से अधिक धनी बन जाऊँगा। दोस्तों लेकिन हुआ यु की हीरे खोदते समय खदान के मिटटी का हिस्सा उसके ऊपर गिर गया और उसकी मौत हो गई।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह ज्ञान मिलता है की हमें जीवन मैं कभी भी लालच नहीं करनी चाहिए क्योंकि लालच बुरी बला है।
2. युवान की तेजस्विता की कहानी: Short Stories in Hindi for Kids
एक दिन राजा के दरबार में एक युवक आया और खड़ा हो गया। उसका गोल-मटोल कसा हुआ शरीर, आकर्षक चेहरा और सुडौल शरीर ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

राजा ने पूछा, “युवक, क्यों आये हो? युवक ने नम्रता से कहा, ‘महाराज, मैं आपकी सेना में शामिल होना चाहता हूं।’ राजा ने तुरंत उसे हजारी के रूप में नियुक्त किया! एक हजारी 1000 सैनिकों का मुखिया होता है! युवक ने नियुक्ति पत्र पढ़ा और राजा को लौटा दिया। सारा दरबार हैरान रह गया क्योकि यह युवक थोड़ी देर पहले तो नौकरी मांग रहा था और अब आदेश नहीं मान रहा था, ऐसा क्यों?
राजा ने कहा, ‘अरे युवान, तुमने आदेश क्यों नहीं माना?’
युवक ने कहा, ‘जो भी राजा, मालिक,सरकार या शेठ अपने कर्मचारी को बिना किसी परीक्षण के इस तरह से नियुक्त करता है,तो फिर यह भ संभव है कि कभी वह उसी कर्मचारी से कुछ भी सुने बिना मौत की सजा भी दे सकता है!’
केवल मेरे बाहरी रूप को देखते हुए मुझे नौकरी दी, लेकिन मुझ पर कोई पूछताछ या परीक्षण नहीं किया। इसलिए मैं यहाँ नौकरी नहीं कर सकता। युवक चला गया। जाते-जाते वह राजा को शिक्षा देता गया।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की किसी को भी कार्य देने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए की वह व्यक्ति उस काम के काबिल है की नहीं.किसी को भी उसका रंग या रूप देखकर जज नहीं करना चाहिए परतु उसकी कार्य करने की क्षमता को देखना चाहिए।
3. लोमड़ी के न्याय की कहानी : Hindi Short Stories with Moral
एक पंडित जी थे। वह बहुत दयालु थे।
एक दिन वह बाहर-गाम गया। चलते-चलते वो जंगल में आ गए। जंगल में उसने एक शेर को पिंजरे में बंद देखा।
पंडित जी को देखकर सिंह ने कहा, ‘अरे पंडितजी! आप बहोत दयालू हैं। मुझे पिंजरे से बाहर निकालो। मैं तुम्हें सोने की मुहरों से भरा एक थैला दूंगा!’

पंडित जी के मन में लड्डू फूटा अरे वाह सोने से भरा थैला! बहुत खूब! मेरी किस्मत खुल गई। पंडित जी ने बिना कुछ सोचे-समजे शेर को पिंजरे से बाहर निकाल लिया। जब वह बाहर निकला तो शेर ने कहा, “मुझे भूख लगी है। अब मैं तुम्हें खाऊँगा।”
पंडित जी ने शेर से बहुत विनंती की लेकिन शेर नहीं माना. शेर ने कहा, ‘नहीं, मैं तुम्हें खाऊंगा।’ उसी समय एक लोमड़ी वहां आई। पंडितजी ने लोमड़ी को सब कुछ बताया, उसे स्वयं न्याय करने को कहा।
लोमड़ी कहती है, ‘निर्णय करना बहुत कठिन है। मुझे बताओ कि सिंह तुम पहले कहाँ थे और पंडितजी तुम कहाँ थे?’
यह सुनकर शेर पिंजरे में कूद गया और खड़ा हो गया और बोला, ‘मैं पहले यहाँ खड़ा था।’
पंडित जी ने बताया कि कैसे उन्होंने शेर को पिंजरे से बाहर निकाला। लोमड़ी ने पिंजरे के पास जाकर दरवाजा बंद कर लिया और कहा, ‘सिंहराज, जब तुम पिंजरे में थे, तो दरवाजा ऐसे ही बंद था, है ना?’
शेर ने कहा “हाँ,”
लोमड़ी ने कहा, ‘पंडित जी, अब आप आगे चलो। भले ही आपने शेर पर एक उपकार किया, लेकिन वह आपको मारने के लिए तैयार हो गया. इसलिए शेर पिंजरे में बेहतर है’।
यह कहकर लोमड़ी भी जंगल तरफ चली गयी।
दोस्तों इस तरह पंडितजी ने बिना सोचे समजे स्वयं से उत्पन्न की हुयी विपदा से बहार निकल गए और बच गए।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की बिना सोचे समजे कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।नहीं तो लेने के देने पड़ सकते है।
4. सांभर के प्यारे सिंग की कहानी : Moral Stories in Hindi in Short
एक सांभर(हिरन) था। उसको अन्य सांभर की टोली में रहना पसंद नहीं था।
हमेशा के लिए वह अपने साथियों से अलग रहता था और अकेला भटक ता था। एक दिन एक सांभर नदी के किनारे उगी ताज़ी हरी घास खा रहा था। सांभर घास खाकर नदी के किनारे पानी पीने चला गया। नदी का पानी एकदम साफ था। पानी पीते समय सांभर ने पानी में अपना प्रतिबिंब देखा। और उसने कहा, वाह! मेरे सींग कितने सुंदर हैं! सिर को ऐसे सजाया गया है मानो ताज पहना हो! लेकिन मेरे पैर कितने पतले हैं! यह मुझे अजीब लगता है, इसका मुजे दुःख है।

अपने बड़े सींगों के अभिमान के कारण वह अपने अन्य साथियों से अलग हो जाता था और हमेशा अकेला ही घूमता रहता था। वह अपने साथियों के छोटे-छोटे सींगों को देखकर उनका मजाक उड़ाता था। एक दिन वह घास चर रहा था। तभी एक परिचित गंध आई और वह कांपने लगा। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता, उसने तूफान की तरह भागते हुए दो तेंदुओं को अपनि तरफ आते देखा।
सांभर उछल कर दौड़ने लगा। दोनों चीतों ने उसका पीछा किया। सांभर अपनी जान बचाने के लिए दौड़ता है। उनके पतले पैरों ने उन्हें तेज दौड़ने में बहुत मदद की। यह तेंदुए से काफी आगे निकल गया और घने जंगल में पहुंच गया। अचानक ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे पकड़ लिया हो और उसे भागने से रोक दिया हो।
सांभर ने देखा कि उसके सींग एक पेड़ की डालियों में फस गए थे। उसने डालियों से सिंग निकालने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसकी मुड़ी हुए सिंग इतनी भरी हुई थी कि वे बाहर नहीं निकल रहे थे।,
सांभर को अहसास हुआ की मैंने अपने पतले पैर को कितना कोसा ! फिरभी उसने मुझे तेंदुए के पंजों से बचाया। लेकिन मुझे अपने बड़े सिंग पर अभिमान था। वाही सिंग मेरे दुश्मन बन गए।
ऐसा सोचते-सोचते सौभाग्य से सांभर के सिंग टूट गए और वह अपनी पतली टांगों के सहारे भागने में सफल हो गया और अपनी जान बचा पाया।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कीवास्तव में, जो चीज हमारी मदद करती हैं वो चीज का हमें रंग रूप को नहीं देखना चाहिए, और हमें उन चीजों से बहुत सावधान रहना चाहिए जो हमें परेशानी में डाल सकती हैं, चाहे वो चीज कितनी भी खुबसूरत हों।
5. लालची कुत्ताकी कहानी : Short Moral Stories in Hindi for Class 1
एक कुत्ता था। वह बहुत लालची और झगड़ालू था। वह अक्सर अपने से कमजोर कुत्तों से खाना छीन लेता था। एक दिन उसे एक रोटी मिली और वह खुश हुआ। उसने रोटी अपने मुँह में ले ली। उसने कहा, ‘मैं थोड़ा और आगे जाकर शांति से रोटी खाता हु।’ वह दौड़ते दौड़ते गाँव के छोर पर पहुँचा। वहाँ एक नदी बहती थी।

कुत्ते ने सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए नदी के सामने वाले किनारे पर पहुचने को तैयार। कुत्ते की नजर नदी के पानी पर गई। उसने पानी में अपना प्रतिबिंब देखा। प्रतिबिंब को देखते हुए उसने महसूस किया कि नीचे एक और कुत्ता खड़ा था और उसके मुंह में रोटी भी थी।
दूसरे कुत्ते के मुँह में रोटी देखकर, वह ललचाया और सोचने लगा, ‘अगर मैं इस कुत्ते की रोटी भी हड़प लूँ, तो मैं दो रोटियाँ खा सकता हूँ।’ लेकिन जैसे ही उसने अपना मुंह खोला, उसके मुंह की रोटी नदी के गहरे पानी में गिर गई।
कुत्ते को एहसास हुआ, ‘मैंने यह गलत किया। दूसरों की रोटी छीनते हुए मैंने अपनी ही रोटी खो दी।’
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें कभी लालच नहीं करनी चाहिए। किसी ने सच ही कहा है की लालच बुरी बला है । और यह भी सच है कि प्रलोभन का परिणाम बुरा होता है।
6. सच्चे दोस्त की कहानी : Small Moral Stories in Hindi
जंगल में एक लोमड़ी और एक हिरण रहते थे। हर दिन लोमड़ी अपने मन में सोचती थी है कि मैं इस हिरण को मार कर खा जाऊँ। लेकिन वह हिरण की तरह तेज नहीं दौड़ सकता। इसलिए उसकी इच्छा पूरी नहीं होती है।

एक बार लोमड़ी ने एक चाल चली। रास्ते में बैठे-बैठे हिरण रोने लगा। हिरण ने लोमड़ी को रोते देखा। उसने लोमड़ी से पूछा कि वह क्यों रो रही है। लोमड़ी कहता है, “मेरा कोई दोस्त नहीं है। मैं अकेला कैसे रह सकता हूँ? मैं अब नदी में डूबके मरना चाहता हूँ।”
हिरण को लोमड़ी पर तरस आया। वह लोमड़ी से कहता है, “मरने के बाद दोस्त कैसे मिलेगा? जिंदा रहे तो दोस्त मिलेगा। अगर तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है तो आज से तेरा दोस्त बन जाता हु, बस!”
लोमड़ी की चाल सफल रही।
फिर हिरण और लोमड़ी साथ-साथ गुमने लगे। उस जंगल में एक कौआ था.जो की वह हिरण का पुराना दोस्त था। उसने हिरण को लोमड़ी के साथ गुमाते देखा और पूछा, “दोस्त, दोस्त, तुम्हारे साथ यह नया कौन है?”
हिरण कहता है “यह मेरा नया दोस्त है”
कौवा कहता हैं, “एक दूसरे को भलीभांति जाने बिना दोस्त मत बनाओ।” यह सुनकर लोमड़ी ने कहा: “कौवा भाई, दोस्त बनने के बाद ही हम एक दूसरे को जानते हैं! आप भी हिरण को पहले कहाँ जानते थे?”
लेकिन कौवे को लोमड़ी पर भरोसा नहीं था। एक दिन लोमड़ी हिरण को एक खेत में ले गई। वहां उन्होंने बहोत सारा अच्छा खाना खाया। फिर दोनों दोस्त रोज उस खेत में जाने लगे। एक दिन खेत के मालिक ने देखा कि खेत में फसल बर्बाद हो रही है.
और उसने खेत में जाल बिछा दिया। हिरण उसमें फंस गया। लोमड़ी की चाल सफल रही। जाल में हिरण के मरने का इंतजार करते हुए लोमड़ी कुछ दूर जाकर बैठ गई।
उस दिन जंगल में कौवे ने हिरण को नहीं देखा इसलिए वह चिंतित हो गया। वह हिरण को खोजने निकल पड़ा। उड़ते समय उसने देखा कि उस खेत में उसका दोस्त हिरण जाल में फंसा हुआ है। कौवे ने हिरण को हिम्मत दी और कहा: “दोस्त, तू चिंता मत कर।
तुम जैसे मर गए हो वैसा नाटक करके पडा रहना। जब मैं ‘का का’ कहूंगा तब,तुम उठ के तेज दौड के वहा से भाग जाना।” कुछ देर बाद खेत का मालिक वहां आया। उसने मरे हुए हिरण को जाल में देखा और जाल को उठा लिया।
उसी समय कौआ ‘का का’ बोलने लगा। कौवे की आवाज सुनकर हिरण खड़ा हो गया और तेज भागने लगा। खेत के मालिक ने यह देखा और हिरण पर अपने हाथ में लाठी फेंक दी।
लेकिन हिरण दूर भाग गया था इसलिए वो बच गया। पास में ही लोमड़ी छिपि हुआ था। हिरण को भाग ता हुआ देखकर लोमड़ी भी भागने लगी। तभी किसान की लाठी लोमड़ी के सिर पर लगी और लोमड़ी की मृत्यु हो गयी।
फिर हिरन और कौवे ने खाया, पिया और मोज की।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें किसी को भी जाने पहचाने बिना पक्का दोस्त नहीं बनाना चाहिए।
7. मेंढक के अभिमान की कहानी : Short Animal Stories in Hindi
एक मेंढक था। वह अपने चार छोटे बच्चो और एक मेंढकी के साथ एक कुएं में रहते है। मेंढक बहुत तामसिक था होते हैं। बहुत मोटा हो गया था। उनका मानना यह था कि मुझसे से बड़ा कोई नहीं है।
चार बच्चे कुएं के पास खेल रहे थे। उसने दूर से एक चलते हुए हाथी को देखा। ऐसा विशालकाय जीव उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। वे बहुत डर गए और कुएं के पानी में कूद गए।

वो चार बच्चे अपनी माँ के पास गए और बोले, ‘माँ, माँ आज हमने एक बड़े काले पहाड़ जैसा प्राणी देखा। उसकी लंबी नाक थी। उसके चार पैर एक बड़े पेड़ के तने के समान थे। आसमान जैसा बड़ा पेट था उस जानवर का’।
बच्चों की बातें सुनकर वह मेढक वहाँ पहुँचा और बोला, ‘नहीं, मुझसे बड़ा कोई दूसरा नहीं हो सकता!’
चारों बच्चे कहते हैं, ‘वास्तव में हमने एक बहुत बड़ा जानवर देखा है।’
मेंढक ने अपना पेट फुलाकर पूछा, ‘इतना बड़ा जानवर?’
बच्चे कहते हैं, ‘नहीं पापा, इससे भी बड़ा था।’
मेंढक ने अपना पेट फिर फुलाया और कहा, ‘इतना बड़ा?’
बच्चे कहते हैं, ‘नहीं, उसका पेट बहुत बड़ा था।’ मेंढक ने बड़ी ताकत से अपना पेट फुला लिया।
चारों बच्चों ने कहा, ‘नहीं, उसका पेट इससे बहुत बड़ा था।’
मेंढक कहता है, ‘अब देखो मैं कितना बड़ा पेट फुलाकर दिखाता हु की मैं सबसे बड़ा हु।’
मेंढक की पत्नी ने कहा, “मेंढक राजा, आप गलत जोर करने के बजाय, आप हमारे बच्चों की बातों को समझो”
मेंढक कहता है, ‘मुझसे बड़ा कोई दूसरा नहीं हो सकता।’ इतना कहकर वह फिर से बड़ी ताकत से अपना पेट भरने लगा। कुछ देर बाद मेढक का पेट तेज आवाज के साथ फट गया।
बेचारा मेंढक! झूठे अभिमान के साथ खुद सबसे बड़ा है वो दिखाने की कोशिश करते हुए अपनी जान गंवा बैठा!
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें कभी गलत चीज का अभिमान नहीं करना चाहिए।
8. बंदर और मगरमच्छ की कहानी : Simple Short Motivation Stories in Hindi
एक नदी के किनारे एक बड़ा जामुन का पेड़ था। हर रोज एक बंदर जामुन के पेड़ पर जामुन खाने आता था। नदी के गहरे पानी में एक बड़ा मगरमच्छ रहता था। बंदर और मगरमच्छ के बिच दोस्ती हो गयी।
बंदर मगरमच्छ को रोज पके जामुन खिलाता हैं। एक बार मगरमच्छ ने अपनी पत्नी मगरमच्छनि के लिए कुछ जामुन लिए। मगरमच्छनि को जामुन बहुत पसंद थे।

मगरमच्छनि जामुन खाती है और मगरमच्छ से कहती है- रोज इतना मीठे जामुन खाने वाले बंदर का कलेजा कितना मिठा होगा! अगर आप उस बंदर को यहाँ ले आयेंगे तो मैं इसका कलेजा खाऊँगी!
मगरमच्छ कहता है – वह अब मेरा दोस्त बन गया है। प्यारे दोस्त के साथ मुझसे धोखा कैसे होगा?
मगरमच्छनि ने हठपूर्वक कहा – यदि तुम बंदर का कलेजा नहीं ले अओंगे तो मैं अपनी जान दे दूंगी। मगरमच्छ बंदर को मगरमच्छनि के पास लाने के लिए तैयार हो गया।
अगले दिन मगरमच्छ जामुन के पेड़ के नीचे आ गया। बंदर द्वारा दिया गया मीठा जामुन खाकर मगरमच्छ बोला- दोस्त बंदर, मेरी मगरमच्छनि ने तुम्हें मेरे घर पर रात के खाने के लिए बुलाया है। मेरी पीठ पर बैठो,मेरे घर चलो और मेरे मेहमान बनो।
बहुत खूब! चलो, इतना प्यार है तो… क्यों नहीं! इतना कहकर बंदर कूद गया और मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया।
मगरमच्छ पानी में आगे की ओर खिसकने लगा। दोनों ने इस बारे में बात की। यात्रा के बीच में भोले-भाले मगरमच्छ ने बंदर को मगरमच्छनि के मन की बात बता दी।
मगरमच्छ की बातें सुनकर बंदर के होश उड़ गए। कुछ देर ठीक होने के बाद उसे मगरमच्छ से बचने का आइडिया मिल गया।
बंदर कहता है – मगरमच्छ! तुम भी खरे हो! आपको मुझे यह पहले ही बता देना चाहिए था! मैंने अपना कलेजा पेड़ पर ही रखके आया हु । चलो वापस चलते हैं और कलेजा लेकर आते हैं!
मगरमच्छ ने बंदर की बात मान ली और वापस किनारे की ओर मुड़ गया। किनारे पर आकर बंदर ने एक बड़ी छलांग लगाई और पेड़ के ऊपर चढ़ गया।
फिर कहा – मूर्ख मगरमच्छ! कलेजा कोई पेड़ पर रखता है क्या ??तुम एक धोखेबाज हो! दोस्त को धोखा देने के लिए तैयार हो गया? आज से हमारी दोस्ती ख़तम।
जा अब कभी मेरे पास जामुन खाने मत आना और मुझे भी अब जामुन नहीं खाने है ऐसा कहकर बंदर वहाँ से कहीं और जंगल में रहने चला गया।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें कभी भी किसी को धोका नहीं देना चाहिए।
9. पैसो के बर्बादी की कहानी : Very Short Motivation Story in Hindi
एक व्यापारी था उसका एक बेटा हुआ। इसलिए माता-पिता अपने बेटे को खूब लाड़-प्यार करते थे।बेटे को खुश रखने में कोई भी कसर नहीं रखते थे।
ज्यादा लाड़-प्यार से बेटा बिगड़ने लगा। जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया, वह और अधिक बिगड़ने लग गया। वह नहीं जानता था कि उसे गलत तरीके से पैसे खर्च नहीं करने चाहिए।

इससे व्यापारी मातापिता बहोत ज्यादा परेशान हो गए। माता-पिता ने अपने बेटे को सुधारने के लिए कई प्रयास किए। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा।
एक दिन पिता ने बेटे से कहा: ‘बेटा, मेरे पास जो कुछ है वह तुम्हारा है। लेकिन शर्त यह है कि आपको दिखाना होगा कि आप भी कमा सकते हैं। तब तक तुम्हें मेरे पैसे से एक पैसा नहीं मिलेगा।’
पिता की टकोर से बेटे को बहोत दुःख हुआ और उसने फैसला किया, ‘मैं जरूर दिखाऊंगा कि मैं कमा सकता हूं।’
अगले दिन बेटा काम की तलाश में घर से निकल पडा। घूमते-घूमते उसे एक लॉरी खींचने का काम मिल गया। इस काम में उसे एक गोदाम से अनाज उठाकर एक लॉरी में रखना होता था और दूसरे गोदाम में जाकर उसे उतारना होता था। दिन भर मजदूरी करने के बाद उसे इस काम का एक रुपया मिला।
वह रुपया लेकर घर चला गया। उसने पिता को रुपया दिया। घर के पीछे आँगन में एक कुआँ था। पिता ने शांति से अपने बेटे के सामने ही उस रुपये को कुएं में फेंक दिया।
कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। पिता बेटे से कुछ नहीं कहता और बेटे के कमाए पैसे को कुएं में फेंक देता था। अब आखिर कार बेटा अकड़ता है। उसने पूछा, ‘पिताजी, आप मेरे काले श्रम से कमाए रुपये कुएं में क्यों फेंक देते हो?’
पिता ने उससे कहा: ‘मैं जानता हूं कि जब तुम पूरे दिन कड़ी मेहनत करता हैं तब जाकर एक रुपया कमाता हैं। मैं यह भी समझ सकता हूं कि जब मैं तुम्हारी मेहनत का एक रुपया कुएं में डालता हु, तो तब तुम्हारा कलेजा कट जाता होगा। इसी तरह, बेटा, जब तुम मेरी मेहनत की कमाई को बर्बाद करते थे तो मुझे कैसा लगता होगा। अब तुम समझ गए होंगे कि में क्या कहना चाहता हु।’
बेटे को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अपना कान पकड़ा और अपने पिता से कहा: ‘आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। अब से मैं इस तरह पैसा बर्बाद नहीं करूँगा।’
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें अपने पैसे को बेवजह बर्बाद नहीं करना चाहिए।
10. खरगोश और कछुआ की कहानी : Short Moral Story for Adults in Hindi
एक दिन एक कछुआ धीरे-धीरे चलते जा रहा था। उसके पास से नाचते हुए,कूदते हुए खरगोशों का झुंड निकला।जुंड में से एक खरगोशो को मजाक करने का मन हुआ.वह पीछे मुड़ा और कछुए से कहा, “कछुआ भाई आप कैसे धीरे धीरे और ठचुक ठचुक चल रहे हो.हमें भी अपनी तरह चलना सिखाओ!’

कछुए ने पहले भी कई खरगोश देखे थे। वह जानता था कि खरगोश जल्दबाज और लापरवाह होते हैं और कुछ भी चालाकी से नहीं कर सकते। वे लापरवाह और ज्यादातर नींद में ही रहते हैं।
तो उसने वट से कहा, ”ससाभाई! हालांकि मेरी चाल ठचुक ठचुक है,लेकिन मैं इतना काबिल हूं कि दौड़ प्रतियोगिता में आप जैसे दौड़वीर को भी हरा सकता हूं.समजे की नहीं!”
वहाँ एक लोमड़ी खडी थी उसने उन दोनों की बात सुनली। उसने खरगोश से कहा, ”अरे ससाभाई! तुम चुप क्यों हो, जबकि इस कछुए ने तुम्हारे जैसे दौड़वीर को चुनौती दी है?”
यहां तक कि खरगोश को पाना चढ़ गया। उसने कछुए से कहा,मैं तुम्हारे साथ दौड़ लगाने के लिए तैयार हूँ!”’चलो हम दोनों दौड़ प्रतियोगिता की शर्त लगाते हैं.देखते है कि कौन जीतेगा?” कछुए ने तुरंत कहा, ‘चलो अब फैसला हो जाए।
अन्य सभी खरगोश दौड़प्रतियोगिता देखने के लिए एकत्रित हुए। खरगोश खड़ा हो गया और दूर एक चट्टान की ओर इशारा किया और कहा, ‘भाई कछुआ, हम दोनों में से जो भी उस चट्टान तक पहले पहोच जाएगा वो जित जाएगा.’
कछुए ने कहा,तुम्हारी बात सही है, मैं सहमत हूं।’कछुआ और खरगोश दौड़ने के लिए खड़े हो गए।
लोमड़ी ने झंडा फहराया और दौड़ प्रतियोगिता शुरू की। कछुआ चलने लगा। खरगोश तेजी से दौड़ने लगे। कुछ ही देर में खरगोश बहुत दूर पहुंच गया।खरगोश को ऐसा लगा की “कछुए को यहाँ तक पहुचने में बहोत देर लग जायेगी.चलो तब तक थोड़ा आसाम कर लेता हु.”
खरगोश पेड़ के नीचे बैठ गया। ठंडी हवा चल रही थी।खरगोश तो वहीं सो गया। जब खरगोश नींद से उठा तो देखा कि कछुआतो चट्टान के पास जाकर खड़ा हो चूका है। खरगोश शरमा गया। वह कछुए के पास गया और अपनी हार मान ली।
कछुए ने कहा, “खरगोश भाई देखो, भले ही मैंने ठचुक ठचुक चल शर्त जीत गया, लेकिन अगर आपने थोड़ा ध्यान रखा होता,यदि आप दौड़ के बिच नहीं सोते तो आज आप जित जाते।देखो मैं तो आपकी तरह तेज दौड़ने वाला था नहीं.यह तो आपकी लापरवाही ने मुझे जिताया है.”
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की धैर्य और लगन से काम करने वाला विजयी होता है।
11. एकता की ताकत की कहानी : Good Short Moral Stories in Hindi
एक डोसा के पांच पुत्र थे, लेकिन पुत्रों के बीच पूर्ण सामंजस्य नहीं था वो एक दुसरे से जगडते रहते थे।
जब डोसा मरने ही वाला था, तो उसने 5 लड़को को बुलाकर बैठा दिया, और पतली छड़ियों का एक पूरा गट्ठर दिया और उनमें से एक से कहा, “तुम इस गट्ठर को तोड़ दो, लेकिन पांचो पुत्रो से किसी ने पूरी गट्ठर नहीं तोड़ पाया,
तब डोसा ने कहा अब गट्ठर को छोड़ दें, और हर एक पुत्र एक एक डंडे को तोड़ दो। पुत्रो ने ऐसा किया तो सारी डंडिया तुरंत टूट गईं।
पांचो पुत्र बहुत हैरान हुए और उन्होंने पिता से पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया। फिर उसने कहा, वे सब लाठियां एक साथ इकट्ठी थी, सो उन में इतना बल था कि सारा गट्ठर तुमसे से न टूटा। लेकिन जब एक एक लाठी अलग हो गई, तो उसे दूसरी छड़ियों के बल से सहारा नहीं मिला। तो यह तुरंत टूट गया।
इस तरह अगर आप सब एक हो जाएं तो आपको कोई अलग नहीं कर सकता और आपकी जवानी खुशियों में चली जाएगी। लेकिन अगर आपस में लड़ो और बिछड़ो तो तुम भी कमजोर हो जाओगे और डंडे की तरह टूट जाओगे, इसलिए अभी से साथ रहो।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें सभी से मिलजुल कर रहना चाहिए। किसीसे कभी भी बेवजह बहस नहीं करनी चाहिए।
12. पेड़-प्रेमी राजा की कहानी : Cute Inspirational Short Moral Stories in Hindi
कुछ वर्ष पूर्व एक सुन्दर नगर में एक राजा का शासन था। राजा बहुत ही उदार और न्यायप्रिय होने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी थे, इस राजा ने अपने वृक्षों के प्रति प्रेम के कारण राज्य में कई स्थानों पर सुंदर उद्यान बनाए। इन बगीचों में वे देश-विदेश में विभिन्न किस्मों के पेड़ लगाते थे, आज उनका मुख्य शौक और प्रकृति का आनंद लेने का साधन है, इसलिए इस राजा को ‘वृक्ष-प्रेमी’ राजा के रूप में जाना जाता था।
राजा अपना जन्मदिन धूमधाम से मनाते थे और वृक्षों का प्रचार करते थे। वह अपने जन्मदिन पर एक पेड़ भी लगाते थे। इस प्रकार प्रत्येक जन्मदिन पर एक वृक्ष लगाकर वृक्षों की संख्या बढ़ाई जाती थी, जिससे वृक्षों की संख्या राजा की आयु के वर्षों के बराबर हो जाती थी।
पेड़ पर उनके जन्मदिन के वर्षों के साथ सुविचार भी लिखें जाते थे। इस प्रकार एक सुंदर हरा-भरा बगीचा तैयार किया गया। इस खूबसूरत बगीचे के ठीक बीच में एक कलात्मक महल बनाया गया था, महल की सुंदरता बगीचे की सुंदरता जैसी ही थी।
राजा हर सुबह और शाम इस खूबसूरत महल में आते थे और महल की खिड़की में बैठ जाते थे और पेड़ों की हरियाली, पत्तों की सरसराहट और मीठे पक्षियों की आवाज सुनते थे। और वह खुश हो जाते थे। खैर, यह राजा की दिनचर्या बन गयी थी।
एक दिन बरसात के मौसम में आसमान से बिजली गिरी और हरेभरे बगीचे में आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि कुछ ही समय में राजा के पसंदीदा पेड़ों के साथ कलात्मक महल जल कर राख हो गया।
पहरेदार दौड़ा और राजा को खबर दी। पहरेदार की बातें सुनकर राजा जोर-जोर से रोने लगे। पूरे महल में रोने की आवाज सुनकर सभी लोग तेजी से राजा के पास पहुंचे और सभी को इसका पता चल गया।
राज्य के मुख्य प्रधान ने कहा: ‘महाराज, आप राजा हैं! इसलिए पेड़ों और महलों के जलने से वलोपात करना उचित नहीं है। यदि आप आदेश दें तो मैं वैसा ही बगीचा और महल थोडे ही महीनो में तैयार कर दूंगा।’
राजा ने प्रधान की बात का उत्तर दिया और कहा, ‘भाई, मैं अपने प्रिय कलात्मक महल के जलने से दुखी नहीं हूं, लेकिन मैं उन पेड़ों से दुखी हूं। क्योंकि महल कम समय में बन सकता है, लेकिन पेड़ों को बड़ा बनने में सालों लग जाते हैं।
प्रधान ने फिर कहा: ‘महाराज, आपकी बात सच है और सही भी है। सालों की मेहनत और संवारने के बाद पेड़ तैयार होते हैं। अब आप जैसा आदेश दें, हम इस स्थान पर एक नया महल और उतनी ही संख्या में नए पेड़ लगाते हैं।
राजा ने कहा: ‘प्रधानमंत्री, इतने सारे पेड़ क्यों? मैं इन जले हुए वृक्षों से अधिक वृक्ष लगाकर सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करूंगा। और इन प्यारे जले हुए वृक्षों को सच्ची मुक्ति के साथ नया जन्म दो।
बस मेरे काम में मेरी मदद करो। और लोगों को सूचित करें कि उनमें से प्रत्येक को अपने घर में एक पेड़ लगाना चाहिए और उसका पालन-पोषण करना चाहिए। और पेड़ों को सामूहिक श्रद्धांजलि अर्पित करें।’
प्रधान ने तुरंत आदेश दिया और राजा के सैनिकों को सूचित किया कि राजा के आदेश के अनुसार ‘एक घर एक पेड़’ प्रत्येक नागरिक द्वारा सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। और हर घर में एक पौधा जरूर लगाना चाहिए। यह राजा का आदेश है। और राजा की इच्छा का पालन करना होगा।
राजा की आज्ञा से नगर के हर घर में पेड़-पौधे लगाए गए और कुछ वर्षों के बाद पूरा शहर हरा-भरा हो गया। इस शहर में देश-विदेश से लोग आने लगे। सब तारीफ करने लगे। वाह वाह… वाकई ‘पेड़ प्रेमी राजा’।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ को लगाने चाहिए और अपनी प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए.कभी भी पेड़ काटने नहीं चाहिए.
13. सच्ची दोस्ती की कहानी : Akbar Birbal Short Moral Stories in Hindi
एक जंगल था। उस जंगल में बहुत से जानवर और पक्षी रहते थे। इसमें तीन दोस्तों की दोस्ती बहुत अच्छी थी। उन तीन दोस्तों के नाम थे खरगोश, हिरण और कौआ। वे तीन दोस्त साथ-साथ रहते थे, साथ खेलते थे और साथ खाते थे। उनके बीच कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ। कभी भी किसी जानवर या पक्षी पर ईर्ष्या नहीं करते थे। सभी जंगल के जानवरों को उनकी दोस्ती पसंद आई।
लगभग एक दिन की बात है। उस जंगल में जब एक शिकारी शिकार करने आया तो खरगोश अकेला था। और वह गाजर खा रहा था तभी शिकारी की नजर खरगोश पर पड़ी। खरगोश शांति से गाजर खा रहा था। उसे क्या पता था कि उसके पीछे एक शिकारी छिपा है। और शिकारी ने मौका देखा और खरगोश पर जाल बिछा दिया।
खरगोश ने जाल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह बाहर नहीं निकल पाया। वहाँ कौआ उड़ता हुआ आया। उसने आकर देखा तो खरगोश शिकारी के जाल में फंसा हुआ था। कौए ने इस बात की जानकारी तुरंत अपने दोस्त हिरण को दी।
तब हिरण को एक विचार आया और उसने कौवे से कहा, ‘मैं जो कहता हूं उसे सुनो और करो।’ उसने कौवे से कहा, ‘मुझे यहां चरने का नाटक करता हु और शिकारी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कराता हु। फिर तुम बिना आवाज के चले जाओ और अपनी चोंच से खरगोश के जाल को काट दो और खरगोश को भगा दो।
‘उसने वैसा ही किया जैसा हिरण ने कहा। शिकारी का ध्यान भटकाने के लिए हिरण चुपचाप वहां गया और चरने लगा, ताकि शिकारी का ध्यान उसकी ओर पड़े। शिकारी की नजर घास चर रहे हिरण पर पड़ी। वह शिकार हिरण को देखकर मोहित हो गया।
शिकारी मन मैं बोला आज मुझे एक जानवर नहीं, बलकी दो जानवर मिल जायेंगे। उसने खरगोश को वहीं छोड़ दिया और हिरण की ओर चलने लगा। यह देखकर कौआ अपना काम करने के लिए खरगोश की ओर चल पड़ा। उसने चुपचाप अपनी चोंच से उस जाल को काट दिया जिसमें खरगोश फंसा हुआ था और खरगोश को भगा दिया।
इस तरफ जब शिकारी ने हिरण पर तीर चलाया तो कौवे ने हवा में उस तीर को देखा और अपनी चोंच से उड़ते हुए तीर को पकड़ लिया और हिरण को भी बचा लिया। जब हिरण को पता चला कि खरगोश शिकारी के जाल से भाग गया है, तो हिरण भी भाग गया और कौवा भी उड़ गया।
इस तरह कौवे ने हिरन और खरगोश की जान बचाई और शिकारी को समझ आ गया कि अब शिकार उसके हाथ में नहीं आएगा, इसलिए वह जंगल से चला गया।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि एक-दूसरे की मदद करने से मुश्किल समय में एक-दूसरे की जान बचाई जा सकती है। इसे कहते हैं ‘सच्ची दोस्ती’।
14. कठोर परिश्रम की कहानी : Motivational Short Moral Stories in Hindi
गुजरात के रामपुर नामके गाँव में एक किसान परिवार रहता था जो धन के मामले में गरीब था लेकिन मन से अमीर था। घर के मोभी का नाम विष्णु था। मेहनत को किस्मत से बड़ा मानते हुए यह किसान बहुत मेहनती है। उनके पास 5 बीघा असिंचित जमीन थी। पूरा परिवार बिना किसी पर निर्भर हुए परिवार के लिए आवश्यक अनाज का उत्पादन करता था।
उनके घर में प्रतिभा और आयोजन कौशल की कोई कमी नहीं थी। एक मानसून में, बारिश ने बोए गए खेतों को धो दिया। बुवाई तो हो गई, लेकिन सभी बुआई की सफलता पर सवाल खड़ा हो गया। फिर भी किसानों ने महंगे बीज बोए।
बारिश नहीं होने से बुवाई में आधा अनाज ही निकल पाया। ऐसे में कई किसान निराश हो गए और उन्होंने खेतों में जाना बंद कर दिया। लेकिन महेनती किसान विष्णु जल्दी उठ जाते थे और विपरीत परिस्थितियों में भी सूरज की किरणों से पहले अपने खेत में पहुंच जाते थे और काम करने लगते थे।
उसने विश्वास और मेहनत को मिलाकर हल जोतना शुरू किया। विष्णु को बिना वर्षा के महेनत करते देख अन्य किसानों ने विष्णु के बारे में गलत बाते करने लगे। एक दिन एक किसान ने विष्णु से पूछा, ‘क्या आप जानते हैं कि बारिश की जरूरत के बावजूद बारिश नहीं होती है। तो फिर क्यों व्यर्थ में महेनत करते हो?
विष्णु ने कहा, ‘देखो अभी वर्षा नहीं हो रही है मैं अपने खेत की जुताई न करके अपने खेत को कैसे तरछोड सकता हु?? मुझे खेत की जुताई जारी रखनी है, क्योंकि अगर भगवान की इच्छा से किसी समय बारिश हो गयी तो उस समय थोड़े समय मैं अपने खेत जोत नहीं पाउँगा।’
जैसे-जैसे समय बीतता गया, कुछ दिनों के बाद मेघराज मान गए। बारिश से नदियों और नहरों में पानी भर गया और कुदरत का किसानों पर प्यार छलक उठा। कुछ दिनों के बाद, पुरे खेत हरे रंग से ढक गए थे! खेतों में जुताई न होने से गांव के किसानो को खेती में नुकसान झेलना पडा।
लेकिन विष्णु के खेतो को हरा-भरा देखकर पड़ोसीओ के मुख से शब्द निकले, ‘भाई! विष्णु की मेहनत रंग लाई!’
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें विपरीत समय में भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए.और अपने काम में सफलता पाने के लिए योग्य दिशा में महेनत करनी चाहिए.
15. समय और उपलब्धि की कहानी : Inspirational Short Moral Stories in Hindi
रामपुर नाम का एक छोटा लेकिन प्यारा गाँव था। गाँव में सभी लोग सुखी और मिलझूल के रहते थे। इस रामपुर गाँव में राम नाम का एक लड़का रहता था। वह अभी दसवीं कक्षा में पढ़ रहा था। रामभाई पढ़ाई में बहुत तेज थे। वह शरीर से भी स्वस्थ और दिखने में सुंदर थे.
लेकिन उन्हें एक बात से बड़ी दिक्कत थी! और वह दिक्कत यह थी की , उसका और समय का रिश्ता सही नहीं था। अपने या दूसरे के काम को वह जब चाहे तब इच्छानुसार करता था।मतलब राम समय पर कोई भी कार्य करता नहीं था।
लेकिन बच्चों, कहा जाता है की, “जो समय से मिलता है, वह पैसो से नहीं मिलता।”
इसका मतलब है कि सबसे मूल्यवान चीज “समय” है। अब रामभाई को समय की कीमत समझने के लिए एक बड़ी आपदा का सामना करना पड़ा।
देखो बाद यु बनी कि मार्च का महीना आ गया और अपने साथ 10वीं की बोर्ड परीक्षा लेकर आया। अब रामपुर गाँव छोटा था इसलिए गाँव में कोई बोर्ड परीक्षा केंद्र नहीं था। इसलिए, गाँव के छात्र परीक्षा देने के लिए निकटतम तालुका मुख्यालय जाते थे।
तालुका मुख्यालय जाने के लिए एक बस सुबह 7:00 बजे निकलती थी। अब रामभाई को भी परीक्षा देनी थी और उन्होंने बहुत तैयारी भी की थी, लेकिन जब राम को गांव के बस स्टॉप पर पहुंचना था उस समय राम घर पर था। सुबह सात बजे बस वहां से रवाना हुई। जब रामभाइ बस स्टॉप पर पहुचे तो उसने जाना कि बस जा चुकी है…
“अरे! अब क्या होगा? मैं परीक्षा केंद्र तक कैसे पहुँचूँगा?? मेरी परीक्षा…? राम के दिमाग में ऐसे सवाल घूमने लगे और रामभाई बहोत दुखी हो गए। और उसकी आँखों में आंसू आ गए।दुसरे वाहन को खोजने के लिए हाथ-पांव मारने लगा और मनमें भगवान् से प्रार्थना करने लगा।
उसी समय रामपुर गाँव के सरपंच लालाभाई वहा से अपनी मोटरसाइकिल लेकर निकले.उन्होंने राम को देखा और पुचा “तुम परीक्षा देने नहीं जा रहे हो?”
जवाब देते हुए, रामभाई की आँखों मैं से बड़े बड़े आंसू निकल गए… और सरपंच लालाकाका को पता चल गया की राम की बस जा चुकी है और राम परीक्षा देने को जा नहीं पा रहा है.
लालाकाका ने बिना किसी देरी के राम को मोटरसाइकिल पर बिठाया और तालुक स्टेशन के परीक्षा केंद्र में ले गए, लेकिन राम उनके चरणों में गिर गया और उन्हें बहुत धन्यवाद दिया। साथ ही संकल्प लिया कि अब से हर काम समय पर करेगा।
बालमित्रो इस प्रकार, रामभाई की जीवन की एक घटना ने उन्हें समय के मूल्य को समझा दिया और हम सभी को भी समय का मूल्य सिखने को मिला।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपना काम समय पर कर देना चाहिए.क्योकि समय सबसे बड़ा बलवान है.
16. बात कर रही गुफा की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 2
एक जंगल था। उस जंगल की एक गुफा में एक लोमड़ी रहती थी। लोमड़ी दिन में शिकार करने के लिए जंगल में घूमती है और शाम को गुफा में आकर सो जाती है।
एक दिन जब लोमड़ी गुफा से बाहर गयी थी तब एक अनजान शेर लोमड़ी की गुफा के पास घूमता हुआ आया। वह बेहद आलसी था। उसने सोचा। अब मैं गुफा में बैठूंगा। जिसकी भी गुफा होगी, वह आएगा, तो मैं उसे खा लूंगा।’ सिंह गुफा में जाकर बैठ गया।
शाम को लोमड़ी आई। गुफा में जाते समय उसने कीचड़ में शेर के पैरों के निशान देख लिए। उसने सोचा कि शेर के कदम गुफा में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं लेकिन बाहर निकलने के निशान नहीं दिखाई दे रहे । तो पक्का शेर गुफा में ही है। होशियार लोमड़ी को पता चल गया । उसने फैसला किया, ‘अभी गुफा में नहीं जाना चाहिए’
तो लोमड़ी गुफा से थोड़ी दूर जाकर बैठ गई। काफी देर तक किसी को बाहर आते नहीं देख उसने एक चाल चली। मानो गुफा से कह रही हो, लोमड़ी ने कहा, ‘गुफा रे गुफा! आज क्यों नहीं बोले? हर दिन जब मैं आता हूँ, तुम कहते हो आओ! आओ लोमड़ी भाई! आज आपको क्या हुआ? यदि तुम नहीं बोलोगे तो मैं वापस चला जाऊँगा।’
शेर ने सोचा, ‘गुफा तो रोज लोमड़ी का स्वागत कर रही होगी लेकिन आज मेरे डर से गुफा बात नहीं कर रही है। तो चलो गुफा की जगह में ही बोल देता हु। यदि मैं न बोलूँ तो हाथ में आया हुआ शिकार भाग जाएगा’ तो शेर ने कहा, ‘आओ! आओ लोमड़ी भाई!’
शेर की आवाज सुनकर लोमड़ी को यकीन हो गया कि उसका अनुमान सही है। सो वह वहां से भाग गया।
थोड़ी देर बाद। लोमड़ी गुफा में नहीं आई। तो शेर गुफा से बाहर आ गया। उसने देखा तो उसे लोमड़ी नहीं दिखाई दी। इस प्रकार शेर भूखा रह गया। अंततः शेर को भोजन की तलाश में गुफा छोड़ना पड़ा। लोमड़ी की चाल सफल रही। लोमड़ी बच गई।और शेर के जाने के बाद अपनी गुफा में वापस रहने आ गयी।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की ‘जो होशपूर्वक चलता है उसको कभी पछताना नहीं पड़ता’ । यदि लोमड़ी सही समय पर होशियारी से काम नहीं लेती तो वह शेर का खाना बन चुकी होती।
17. दो बिल्लिया और बंदर की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 3
कहीं से एक रोटी लाकर दो बिल्लियाँ उसे बाँटने बैठ जाती हैं।
पहली बिल्ली – (दूसरी को) अली, लाओ, मैं इस रोटी को बाँट दूँ।
दूसरी बिल्ली – (पहली से) क्यों ? क्या मुझे रोटी बाटनीनहीं आती क्या..की मैं तुझे बाटने क्यों दू?
पहली बिल्ली – (दूसरी से) तो इसके बारे में इतना क्यों सूना रही हो? मैंने तेरी बुद्धि देखी है! रोटी लाने के लिए जो महेनत तुझे करनी पड़ी है उतनी ही मेहनत मुझे भी करनी पड़ी है।
दूसरी बिल्ली – (सूँघते हुए) अपना अभिमान अपने पास रखो! मैं तुम्हारे डराने से मैं डरने वाली नहीं हु, समझी? तुझे थोड़ी भी शर्म नहीं आती?? और जो मन मैं आता है वो बोल देती हो है।
(दोनों बिल्लियाँ चिढ़ जाती हैं और लड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं। उतने में वहा एक बंदर आता है)
बंदर – (दोनों बिल्लियों को गुस्से से देखते हुए, दिमाग में) कुछ पक रहा है। चलो देखते हैं क्या हाल है। (दोनों बिल्लियों को कहा) क्यों प्यारी बहनों, क्या चल रहा है?
(दोनों बिल्लियाँ उसे अपने-अपने तथ्य बताती हैं।)
बंदर – (सुनकर) अरे हो! बस इतनी सी बात! एक रोटी बांटने में क्या बड़ी बात है? अगर आप बुरा न मानें तो मैं आपको बराबर का हिस्सा बाट दूंगा।
दोनों बिल्लियाँ – (एक साथ) खुशी से, खुशी से।
अब बंदर वह दो रोटियां का दो टुकड़ा करता है; एक छोटा और दूसरा थोड़ा बड़ा। इन दोनों टुकड़ो को तराजू के पल्ले में डाल देता है। चूंकि बड़ा टुकड़ा तराजू में ज्यादा जुकता है इसलिए वो बड़े रोटी के तुकडे को थोड़ा खा जाता है।फिर वो थोड़ा छोटे तुकडे को खा जाता है इसलिए छोटे टुकडे का पल्ला थोड़ा और उंचा चला जाता है।
दोनों बिल्लियाँ – (बंदर की चालाकी को समज जाती है) भाई, बहोत हुआ; अब आप हमारे हमें रोटी के टुकड़ो को लौटा दो। हम बिना लड़ाई किये आपस में अपना अपना हिस्सा बांट लेंगे।
बंदर बोला – बहनों , शांत हो जाओ। अब तक मैं तुम्हें एक हिस्सा देने के लिए भूखा हूं, इसलिए मैं अपनी मेहनत के लिए अपना हिस्सा लेता हूं और जो बचा है उसे वापस देता हूं। (यह कहकर बंदर बाकी के टुकड़े भी खा जाता है, इसलिए दोनों बिल्लियाँ मुँह को ढीला करके चली जाती हैं।) उन्हें जाते हुए देखकर हुआ पक्का बंदर बहुत हँसा और कहा, ‘दो के बीच लड़ाई में, तीसरा खा गया।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें आपस में कभी लड़ना नहीं चाहिए नहीं तो अपने लड़ने का फ़ायदा कोई तीसरा व्यक्ति उठा जाता है।
18. मैना और कौआ की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 4
एक मैना थी और एक कौआ था।
दोनों दोस्त बन गए।
मैना बेचारी मनकी अच्छी और भोली थी, लेकिन कौआ आलसी और धोखेबाज था।
मैना ने कौवे से कहा – कौआ भाई, कौआ भाई! चलो खेती करते हैं! अगर फसल अच्छी होगी तो पूरे साल खाने के लिए बहार नहीं जाना पड़ेगा और आप और मैं आराम से घर बैठ कर खा सकते हैं।
कौआ कहता है – बहुत अच्छा; चलो फिर खेती करते है।
अब मैना और कौआ अपनी चोंच से खेत जोतने लगे।
थोड़ी देर बाद कौए की चोंच टूट गई, इसलिए कौआ लोहार के पास चोंच को ठीक करवाने गया। जाते-जाते मैना से कहा –मैनाबाई! तुम खेत जोतते जाओ, मैं थोड़ी देर मैं ही चोंच ठीक करवाके आता हूं।
मैना कहती है – ठीक है।
फिर थोड़ी देर बाद मैना ने पूरे खेत को जोत दिया लेकिन कौआभाई का कोई पता नहीं चला। वे वापस नहीं आए।
कौआभाई का दानत गलत था, इसलिए उन्होंने अपनी चोंच तो ठीक करवाली लेकिन वह काम करने में बहुत आलसी थे, इसलिए वे एक पेड़ पर बैठ गए और लोहार से बातें करने लगे।
मैना कौए का इंतज़ार करते-करते थक गयी और कौए को बुलाने चली गयी।वहा जाकर कौए से कहने लगी- कौआ भाई, कौआभाई! चलो भी! मैंने पूरा खेत जोत दिया है। अब हम फसल बोते हैं।
कौआ कहता है-
ठागाठैया करता हु,
चांचुडी गडाता हु,
जाओ मैनाबाई जाओ! मैं थोड़ी देर में आता हु.
मैना वापस गइ और बुवाई करने लग गयी।
मैना ने बाजरा बोया। कुछ ही दिनों में यह इतना सुंदर उग निकला!
उस समय निराई (खरपतवार) को निकालने का समय हो गया था और मैना बाई कौए को बुलाने चली गई। वहा जाकर कौवे से कहां – कौआ भाई, कौआभाई! चलो चलो; बाजरा बहुत अच्छा उगा है। अब शीघ्र निराई करनी चाहिए, नहीं तो फसल खराब हो जाएगा।
आलसी कौवे ने पेड़ से कहा:
ठागाठैया करता हु,
चांचुडी गडाता हु,
जाओ मैनाबाई जाओ! मैं थोड़ी देर में आता हु.
मैना वापस चली गयी और अकेले ही पूरे खेत की निराई कर दी।
जैसे-जैसे समय बीतता गया, फसल तैयार हो गयी और उसे काटने का समय आता गया, इसलिए मैना फिर से कौए को बुलाने गयी। वहा जाकर कौवे से कहां – कौआभाई, कौआभाई! चलो चलो; फसल का काटने का समय हो गया है। अगर हम देर से काटते हैं, तो इससे नुकसान होगा।
चालाक कौवे ने कहा –
ठागाठैया करता हु,
चांचुडी गडाता हु,
जाओ मैनाबाई जाओ! मैं थोड़ी देर में आता हु.
मैनाबाई निराश होकर वापस चली गई। और गुस्सा होकर अकेले ही सारे खेत को काट लिया।
अब मैनाबाई ने बाजरा लिया और एक तरफ बाजरे का ढेर किया, और दूसरी तरफ धुन्सा का ढेर किया। और उसने धुन्सा के बड़े ढेर पर बाजरे की एक पतली परत बिछा दी ताकि धुन्सा का ढेर बाजरे के ढेर जैसा लगे।
फिर वह कौए को बुलाने चली गई। वहा जाकर कहा- कौएभाई! क्या अब तुम जाओगे ना? बाजरे के दो ढेर तैयार हो गए हैं. आपको जो भी हिस्सा पसंद हो उसे आप रख लेंना। कौआभाई यह जानकर उत्साहित हो गए कि उन्हें बिना मेहनत के बाजरा का हिस्सा मिल जाएगा।
उसने मैना से कहा – आओ दीदी! मैं तैयार हूँ। अब मेरी चोंच बिलकुल ठीक हो गई है।
मैना ने अपने आप से कहा – अब तुम अपने गलत दानत का फल भोगोगे, कौएभाई!
तब कौआ और मैना खेत में आए। मैना कहती हैं – भाई ! आपको जो ढेर पसंद है वह आपका है।
कौएभाई तो बड़ा ढेर को देखकर धुन्सा के ढेर पर बैठ गए । लेकिन उनके बैठते ही, भाईसाहेब के पैर धुन्सा के गड्ढों में फंस गए और उनकी आंख, कान और मुंह में छेद में धुन्सा भर गया और कौएभाई की मृत्यु हो जाती है!
फिर मैना सारे बाजरे को घर ले गई। और खाया, पिया और मौज किया।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें खुद महेनत करनी चाहिए।काम करने में आलस नहीं करनी चाहिए।
19. चालाक लोमड़ी की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 5
भाल पंथक के भाना भट्ट को गाय पालने का बहुत शौक था एक दिन वह दो गाय खरीद के ले आए। एक गाय लाल रंग की थी जो लम्बी, मोटा शरीर और बड़े सींग वाली थी.और दूसरी गाय का रंग काला था, वो नीची और छोटा सींग वाली थी.
दोनों गाये बहुत प्रेम से रहती थी। कभी मत लड़ो। सगी बहनों की तरह! दोनों के खिले भी एक दूसरे के करीब थे।
एक दिन अचानक दोनों में झगड़ा हो गया। लाल गाय कहती है, ‘मैं बड़ी हूं, लाल रंग शगुन का प्रतीक है, शुभ कार्य का संकेत है, लेकिन तुम्हारा काला रंग कोयले का प्रतीक है, काला रंग का तो कौवा होता है.’
अरे! काली गाय कहती है: अरे! तुम खुदसे ही अपनी प्रशंसा क्यों कराती हो? लाल रंग भय का प्रतीक है। खुनमार्की का प्रतीक लाल रंग ही होता है।’ दोनों गायों में मारपीट हुई लेकिन कुछ हल नहीं निकला, इसलिए दोनों गाये न्याय के लिए लोमड़ी के पास गयी।
लोमड़ीबाई बस इंतज़ार कर रही थी। वे कब से इस लड़ाई को देख रही थी? दोनों गायें कहती हैं, ‘लोमड़ी बाई! हमारा न्याय करो। लाल रंग बेहतर है या काला रंग?’
लोमड़ी कहती है, ‘ऐसे तो कुछ नहीं पता चलेगा’। तुम दोनों एक एक लीटर दूध मेरे पास जमा करो, तब न्याय होगा।’
दोनों गायों ने फीस के तौर पर लोमड़ीबाई को हिस्सा का एक एक लीटर दूध दिया। भूखी लोमड़ी ने तुरंत सारा दूध पि लिया!
दोनों गायें कहती हैं, ‘ लोमड़ीबाई, अब तो हमारा न्याय करलो? लाल रंग बेहतर है या काला रंग? लोमड़ीबाई ने गंभीरता से कहा, ‘ये लाल और काले रंग बेकार हैं!’
दोनों गायें कहती हैं, ‘क्यों?’ लोमड़ी कहती है, ‘देखो, दोनों गायों का दूध सफ़ेद रंग का है। इसलिए सफ़ेद का रंग ही सही है।’ दोनों गायें लोमड़ी की चालाकी समझ गईं। वो दोनों गाये आपस में समज गयी और अपने घर आ गई और प्यार से रहने लगी।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें आंतरिक लड़ाई को एक दूसरे को समझकर हल किया जाना चाहिए। जब हम न्याय कराने जाते है तो दोनों के झगड़े में तीसरा पक्ष फ़ायदा उठाता है।
20. कोयल की पुकार की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 6
बड़ा गाँव था। उसके पास एक बड़ा आम का पेड़ था। उस पेड़ के ऊपर एक कोयल रहती थी। उस कोयल की आवाज बहुत कर्कश थी। जो कोई उस पेड़ के नीचे आराम करने के लिए बैठता, वह कोयल की आवाज सुनकर चला जाता। इससे पूरा गांव दहशत में था। वह आम के मीठे आम खाने के लिए भी कोई नहीं जाता था।
कई दिन बीत गए और एक दिन एक साधु वहां से गुजर रहे थे। वहाँ उसे आम के पेड़ की ठंडी छाँव देखकर आराम करने का मन हुआ। वह वहीं आराम करते सो गए और जब वह उठे तो उसे बहुत प्यास लगी थी।कोयल हमेशा दूसरों की मदद करती है। तो वह जल्दी से ऋषि की मदद के लिए गई और साधु से पूछा, ‘आपको क्या चाहिए?’
साधु ने कहा, ‘मुझे बहुत प्यास लगी है। मैं पानी पीना चाहता हूं।’
कोयल ने कहा, ‘आप थोड़ी देर बैठिए। मैं आपके लिए पीने के लिए पानी और खाने के लिए फल की व्यवस्था करती हु।’ कुछ मिनटों के बाद कोयल वापस आई और बोली, ‘हे प्रभु, यह लो, मैं आपके लिए पानी और फल लायी हूँ।’
खाने-पीने के बाद साधू चले गए। कुछ दिनों बाद साधू एक दिन उसी गाँव में वापस आए और उसी आम के पेड़ की छाया में विश्राम करने बैठ गए। फिर सो गये। इस बार साधू पानी लाए थे और पानी पीने के बाद कुछ देर बैठ गए, तभी एक कौआ उड़ता हुआ वहा आया।
साधू ने अपने झोली में कुछ मिठाई थी वो लेकर कौआ उड़ गया । साधु बहुत दुखी हुआ। तब कोयल ने कहा, ‘महाराज, क्या हुआ? आप यहाँ उदास क्यों बैठे हो?’
अरे! मैं क्या कहूँ, आज मैंने पूरे गाँव का चक्कर लगाया और अपने लिए खाना इकठ्ठा किया और अब एक कौवा आया और वो खाना सब ले गया।’ कोयल ने कहा, ‘चिंता मत करो, करो, मैं अभी लेकर आती हूँ।’
कोयल कौवे के पास गई और बोली, ‘कौवा भाई तुम उस साधु की झोली से जो मिठाई लाये हो। भाई कौवा, उन्हें वह मिठाई वापस दे दो।’ कौवे ने कोयल को मिठाई लौटा दी। तब कोयल ने वह मिठाई साधु को दे दी।
झोली और मिठाइयाँ देखकर साधु बहुत खुश हुए। फिर उसने कहा, ‘अरे! कोयल तुम मेरा बैग और मिठाई वापस ले आई। मैं आपकी प्रशंसा कैसे कर सकता हूं? आपने आज मुझ पर एक उपकार किया है।’
कोयल ने कहा, ‘महाराज, मैं हमेशा सत्य की सेवा करता हूं। अगर कोई मुश्किल है तो मैं उसमें मदद करता हूं, लेकिन मेरी आवाज ऐसी क्यों है?’
साधू ने कहा, ‘अब आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है
अगर तुम्हें कोई वरदान चाहिए तो बोलो।’ कोयल ने कहा, ‘मेरी आवाज मीठी हो जाए, ताकि लोग मेरी आवाज सुनने आएं।’
साधू ने कहा तथास्तु। कोयल वरदान पाकर बहुत खुश हुई और बोलने लगी। उसकी आवाज सुनकर गांव के लड़के वहां खेलने आने लगे। लोग आम की ठंडी छांव में बैठने के लिए आने लगे और आम भी खाने लगे।
यह देखकर कोयल खुश हो गई। कोयल के मिठी पुकार को गांव के लोग सुनते थे। कोयल की मीठी आवाज सुनकर सभी को बहुत अच्छा लगा।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें लोगो की मदद करनी चाहिए.
21. किसान और उसके बैल की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 7
रतनपुर नाम का एक गाँव था। उस गाँव में एक किसान रहता था, जो खेतों में खेती करके अपनी आजीविका चलाता था। उनके खेत में एक कुआँ भी था, लेकिन अनियमित वर्षा और पानी की कमी के कारण कुआँ सूख गया और बिना पानी के गहरा हो गया।
एक बार की बात है। उस किसान के पास एक बैल था,। बैल बूढ़ा था, लेकिन अनुभव के कारण समझदार था। एक बार खेत में चरते समय वह एक कुएं में गिर गया। किसान को जैसे ही पता चला, उसने उसे बचाने और कुएं से बाहर निकालने की हर संभव कोशिश की।
बैल ने भी खुद को कुएं से बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन कोई चाल काम नहीं आई। अंत में किसान ने बैल को बचाने की उम्मीद छोड़ दी और सोचा कि अब बैल किसी काम का नहीं है क्योंकि वह अब बुढा चुका है, इसलिए उसे इस खाली कुएं में जिन्दा दफना देंता हु। उसने अपने पड़ोसियों और दोस्तों को बुलाया और उसमें मिट्टी डालकर कुएं को भरने का फैसला किया।
उसके दोस्त और पड़ोसी इकट्ठे हो गए और कुएं में कीचड़ और कचरा डालना शुरू कर दिया। यह देखकर बैल बहुत डर गया। उसने सोचा कि जिस किसान के खेत में मैंने जीवन भर काम किया वह मुझे इसी कुएं में दफनाना चाहता था, लेकिन बैलने हिम्मत नहीं हारी।
जैसे ही उसके शरीर पर मिटटी गिरती, वह मिट्टीको खंखेर के मिटटी ढेर पर चढ़ जाता था। ऐसा करने से पूरा कुआं भर जाता है।और बैल भी बिना हिम्मत हारे,थके बिना मिट्टी के ढेर पर चढ़ता रहा और अंत में कुएं के किनारे पर पहुंच जाता है और बड़ी छलांग लगाकर कुएं से बाहर कूद जाता है।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की कैसी भी परिस्थिति हो, कैसी भी समस्या हो, हमें बिना हिम्मत हारे उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए। हाथों पर हाथ रखकर बैठें रहना नहीं चाहिए।
22. बहादुर अशोक की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 8
प्रतापनगर नाम का एक छोटा सा गाँव था। चारों ओर हरे-भरे वृक्ष सुशोभित थे। गांव के पीछे एक झोपड़ी में एक गरीब परिवार रहता था। उनका अशोक नाम का एक पुत्र था। वह गांव के स्कूल में पढ़ता था। अशोक स्कूल में सबके साथ मिलझुल के पढ़ता था। अशोक स्वभाव से काफी हसमुख था। और साथ ही साथ साहसी भी था। अशोक में हसमुखता और साहस जैसे गुण थे।
लगभग एक दिन की बात है। छात्रों को स्कूल ब्रेक पडा । स्कूल के पीछे एक बड़ा खेल का मैदान था। उसके बगल में एक सदियों पुराना गहरा कुआँ था। उसमें बिल्कुल पानी नहीं था। कुआं खाली था।
स्कूल के छात्र मैदान में खड़े थे। कुछ छात्र कुएं के पास खड़े थे। खड़े छात्रों ने कुएँ में झाँका, और वहाँ एक बिल्ली का बच्चा अपने पैर उठाकर बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन कुआँ गहरा होने के कारण बिल्ली का बच्चा इधर-उधर गिर रहा था। अपने पैर उठाता था,चढ़ने की कोशिश कर रहा था,और गिर रहा था । यह सब छात्र देख रहे थे। वहां मैदान में खेल रहे छात्र कुंए के पास आए और जमा हो गए। वे चिल्लाने लगे।
इस दौरान उनके सर कुंए के पास जमा हुए छात्रों के पास आए और पूछा कि आप क्यों चिल्ला रहे हो?
छात्रों ने कहा:
महोदय, इस कुएं में एक बिल्ली का बच्चा गिर गया है। सभी छात्र चर्चा कर रहे थे। की बच्चे को कुएं से बाहर कैसे निकाले? बीच में एक छात्र बोला। सर।।। सर, कुएँ में एक लंबी रस्सी डाल दीजिए, बीच में नीचे तक बंधी हुई, और अपना अशोक बहादुर है। वो रस्सी के सहारे होते हुए धीरे-धीरे नीचे उतरेगा और बिल्ली के बच्चे को बचा लेगा।
अशोक “परित काजे प्राण पठारे के समान था”। अशोक ने एक पल के विचार के बिना वह दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ रस्सी से कुएं में उतर गया। उसने शावक को बचाया और अपनी गोद में ले लिया। रस्सी के साथ धीरे-धीरे कुएं से बाहर आया और बिल्ली के बच्चे की अनमोल जान बचाई !!
सभी छात्र अशोक की पीठ थपथपाते हैं। प्रार्थना सभा में स्कूल के प्राचार्य ने अशोक के साहस की तारीफ की। अशोक को सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया गया था। अशोक की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। सभी ने तालियों की गड़गड़ाहट से अशोक का अभिनंदन किया। धन्यवाद अशोक !!
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें हर किसी की मदद करनी चाहिये।
23. दयालु नरेंद्र की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 9
स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था। नरेंद्र बड़े दयालु थे। एक दिन कुछ बच्चे एक ऊँचे पेड़ के नीचे लुका-छिपी खेल रहे थे। इसी बीच एक साधु महाराज वहां आ गए। नरेंद्र ने उन्हें प्रणाम किया। साधु ने कहा, “बेटा, मुझे बहुत भूख लगी है। क्या भोजन की व्यवस्था की जा सकती है?
बच्चे एक दूसरे के सामने देखने लगे; लेकिन नरेंद्र ने हां में सिर हिला दिया। वह तुरंत घर की ओर भागा। उसकी माता फूलों को पानी दे रही थी। नरेंद्र ने माँ से कहा, ‘माँ, मुझे बहुत भूख लगी है, मुझे कुछ खाना दीजिये।’
माँ ने तुरंत नरेंद्र को थाली परोसी और किसी काम से निकल गई। मौका मिलते ही नरेंद्र ने खाने की थाली ली और पिछले दरवाजे से साधु के पास गए। साधु को खिलाकर उन्हें संतुष्टि मिली।
ऐसे थे नरेंद्र। वह खुद दूसरों की सेवा करने के भूखे थे। इसलिए सुभाषित में कहा गया है:
“भूखों के लिए भोजन, प्यासे के लिए पानी। मुख से बोलो, सदा मीठी वाणी।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की भूखे लोगो को भोजन देना चाहिए।सेवा ही सबसे बड़ा धर्म और कर्म है।
24. ईमानदार मंत्रीओ की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 10
कई साल पहले की बात है। एक महाराजा थे। राजा के वहाँ अनेक दरबारी थे। लगभग एक दिन की बात है। राजा जानना चाहता था कि उसके मंत्री ईमानदार हैं या नहीं, इसलिए राजा सभी मंत्रियों के साथ यात्रा पर गया और इसे गुप्त रखा कि वह उनकी परीक्षा लेना चाहता है।
राजा स्वयं अपने रथ पर बैठ गये और उसके दरबारी उसके पीछे पीछे हो लिए। राजा भी अपने साथ सोने की एक बोरी ले आये थे और इन सोने को कुछ दूरी पर सड़क पर फेंक देते थे।
कुछ लालची मंत्री सोने के गहनों को देखकर सोने के गहने को विनने में लग गए।वो सब लालची मंत्री अपनी फरज क्या है वो सब भूल चुके थे।
राजा थोड़ी थोड़ी दूरी पर अपने मंत्रिपरिषद की खबर लेते थे। और जब राजा यात्रा की मंज़िल पर पहुच गए।पहुँचकर रथ पर से राज निचे उतरे, तो, देखकर आश्चर्यचकित हो गए क्योंकि जब वह महल से निकले थे, तो बहोत सारे मंत्री उसके साथ थे, और जब वह यात्रा के अन्त तक पहुंचे, तो केवल थोड़े ही मंत्री उनके साथ रहे।
राजा को अपनी मंत्रिपरिषद पर बहुत शर्म आ रही थी। राज को पता चल गया की कि उनके मंत्री कितने प्रामाणिक है। इसलिए अगले दिन उन्होंने एक बैठक बुलाई।
बैठक शुरू होते ही सोनामहोर ले जाने वाले सभी मंत्री काफी तनाव में थे। उनमें सहिष्णुता और उदारता के गुण थोड़े भी नहीं थे। क्योकि, वह सब मंत्री उसी दिन सोने की मुहर लेकर सोनी के पास बेचने गए थे।
सोनी ने उन्हें बताया कि ये सारी सोनामहोर झूठी हैं। तब वो सारे मंत्रीओ के दुःख का कोई अंत नहीं था। उनको लगा की हमने व्यर्थ में समय बर्बाद किया।
साथ ही,भरी सभा में, जो दरबारियों ने राजा की यात्रा में साथ दिया और जिन्हेंनो सोनामहोरो का लोभ में नहीं आये थे वैसे मंत्रीओ को असली रत्नों और सोनामहोरो देकर सन्मानित किया गया।
और उन्हें दरबार में विशेष स्थान दिया गया और जब उनसे कारण पूछा गया कि उन्हें सोनामहोरो का लालच क्यों नहीं हुआ, तो वो सब मंत्रियो ने कहा की जब सोनामहोरो के मालिक हमारे साथ हैं, तो हमें लालची होने की क्या जरूरत है?
और यह उत्तर सुनकर वे लालची मंत्री लज्जित हो उठे। और फिर उन सभी मंत्रीओ ने राजा से इस कृत्य के लिए माफी मांगी।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें इमानदार बनना चाहिए।कभीभी लालची नहीं बनना चाहिए।
25. आलसी मेंढक की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 1 With Pictures
एक खेत के कोने में एक दिल्यो नामका मेंढक रहता था। खेत में गौरी नामकी गोकलगाय(Land Slug) रहती थी। दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी; लेकिन दोनों के स्वभाव में काफी अंतर था।
दिल्यो स्वभाव से आलसी धूर्त और बड़ा कमीने है, जबकि गौरी स्वभाव से बहुत चालाक और प्यार करने वाली है। दिल्या देकड़ा को कड़ी मेहनत तो दुश्मन लगती है। मुफ्त का खाने के लिए, भोजन की तलाश में मेंढक इधर-उधर भटकता रहता हैं।
बेचारी गौरी पुरे दिन खाना ढूढ कर लाती थी और दिल्याभाई उसे चट कर जाते लेते थे। बेचारी गौरीबहन का पूरा दिन खाना खोजने की हड़बड़ी में खत्म हो जाता था।
दिल्यो मेंढक के लगातार अत्याचार से तंग आकर गौरी गोकलगाय ने दिल्या मेंढक को सबक सिखाने की सोची। एक दिन गौरी भोजन की तलाश में नदी तट पर पहुची।
वहाँ उसने नदी के किनारे खाई में एक मधुमखी का छत्ता देखा। और घर आकर मेंढक को छत्ता के बारे में बताया । जैसे ही उसने यह सूना, दिलिया मेंढक बहुत खुश हुआ। वह खुशी से हवा में बचके भरने लगा और उसके मुँह से लार बहने लगी।
गौरी मेंढक को नदी के किनारे मधुमखी का छत्ता के पास ले गइ। दिल्या डेडका ने सब्र खो दिया दिया। जैसे ही, मधुमखी का छत्ता दिखाई दिया मेंढक तो बहुत अधीरा हो गया और शहद खाने के लिए बहुत उत्सुक हो गया और मधुमक्खी के छत्ते की ओर दौड़ पड़ा।
बहादुर मेंढक तुरंत छत्ते के पास पहुंचा और जैसे ही उसने छलांग लगाई, मधुमक्खियों का पूरा झुंड मेंढक पर तूट पड़ा। बेचारे मेंढकभाई की हालत खराब हो गई है। जिधर देखो, मधुमक्खीओ ने काट लिया था। मधुमक्खीओ के डंक से पूरे शरीर में दर्द होने लगा।
मधुमक्खी के डंक से मेंढक की हालत बहोत खराब हो गयी। और वहासे जान बचाकर भाग गए। मेंढक रात भर दर्द से बिस्तर पर पड़े रहे।
दूसरी ओर गौरी गोकलगाय ने अपने शरीर को अपने सुरक्षात्मक कवच में लपेट लिया और मधुमक्खी के डंक से बच गइ। उस दिन से मेंढक हराम का खाना खाना भूल गया।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की मुफ्त के खाने की लालच नहीं करनी चाहिए।हमें महेनत करके खाना चाहीये।मुफ्त के खाने के चक्कर में लेने के देने पड सकते है।
26. एकाग्रता का चमत्कार की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 2 With Pictures
यह कहानी महान वैज्ञानिक सर सी।वी।रामन के बचपन के बारे में है। जब वह छोटे थे तो हरदिन कुछ नया किया करते थे। वह बड़े उत्साह के साथ काम शुरू करते थे, लेकिन उत्साह कम होने पर काम छोड़ देते थे। इस प्रकार शुरू किया हुआ कार्य अधूरा रहता था।
गरमी के दिन थे।उनके पिता एक आवर्धक लेन्स लाए थे। उन्होंने सी।वी।रामन को बुलाकर कहा, “बेटा! आज मैं तुम्हें एक चमत्कार दिखाता हु!!
सी।वी।रामन ने सब कुछ ध्यान से देखा। पिता रफ कागज पर शीशा घुमाते थे। रामन कहने लगा पापा मुझे इसमें कुछ नजर नहीं आता।
अब पिताजी ने गिलास को एक कागज के टुकड़े पर स्थिर कर दिया। सूरज की किरणें उसमें से गुजरीं और रफ कागज पर गिरीं। कुछ ही देर में कागज में आग लग गई, सी।वी।रामन इस घटना को विस्मय से देख रहे थे।
पिता ने कहा, “यह कागज कैसे जल गया? कुछ समज में आया क्या ?” रामन ने ना में सर हिला दिया।
“यह एकाग्रता का चमत्कार है। कागज के ऊपर आवर्धक लेन्स को आगे-पीछे दाए बाए घुमाने से कुछ नहीं होगा, लेकिन आवर्धक लेन्स को स्थिर रखते हुए, मैंने उसकी किरणों को एक स्थान पर केंद्रित कर दिया, जिससे आग लग गयी।”
रामन ने कहा : ‘हाँ, पिताजी समज गया’।
इसका मतलब है कि यहाँ वहा भटकने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। कुछ पाने के लिए काम में एकाग्रता लानी होगी, मन को एकाग्र करना होगा, तभी काम सफल होगा।
अपने पिता की इस शिक्षा को सर सी।वी।रामन ने जीवन भर याद रखा और उनकी एकाग्रता ने उन्हें विज्ञान की दुनिया में महान उपलब्धियों को देने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की कोई भी कार्य हमें एकाग्रता से करना चाहिए। एकाग्रता से किया हुआ कार्य में हमें सफलता मिलती है।
27. जीवन का मतलब की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 3 With Pictures
राजनगर नामक एक सुन्दर नगर था। इस नगर के राजा का नाम आनंद सिंह था। यह राजा बहुत ही परोपकारी और दयालु था। राजा बूढ़ा था। वह कई बीमारियों से पीड़ित थे। उनका जीवन दवाओं पर निर्भर था।
इसी बीच एक ज्योतिषी उस राजा के पास आया। राजा की कुंडली, हाथ आदि देखकर उसने राजा की भविष्यवाणी की और कहा कि वह केवल एक महीने ही जीवित रहेगा। ज्योतिषी की बात सुनकर राजा और चिंतित हो गए। उनकी तबीयत बिगड़ गई।
उन दिनों एक संत राजा से मिलने आए। राजा ने संत को सारी बात बता दी। बात समाप्त होने के बाद, संत मुस्कुराए और कहा, ‘राजन, चिंता करना बंद करो, तुम अमर हो।’ संत की यह बात सुनकर राजा को बहुत आश्चर्य हुआ।
उन्होंने संत से कहा, “मेरा शरीर खराब हो गया है और मैं किसी भी क्षण मर सकता हूं। फिर मैं अमर कैसे हो सकता हूं, कृपया मुझे विस्तार से बताएं।’
यह सुनकर संत ने राजा के लिए कपड़ा बुनने वाले बुनकर को बुलाया और पूछा, ‘तुम कपड़े क्यों बना रहे हो? रूइ के अस्तित्व को क्यों नष्ट करता है?
यह सुनकर बुनकर ने कहा, “यदि समय पर रुई का उपयोग नहीं किया गया, तो हवा (हवा) और रेत इसे नष्ट कर देगी। मैं इसे कपड़े में बदल देता हूं और इसे आपके और समाज के लिए उपयोगी बनाता हूं।’
अब संत ने राजा को समझाया। हे राजन, दुनिया में सब कुछ एक दिन नष्ट होना तय है। इसलिए इसका सर्वोत्तम लाभ के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। यही इसका महत्व है। शरीर का भी एक दिन नाश होना तय है।
इसे हमेशा के लिए नहीं बचाया जा सकता है। इसलिए हमें इसे बचाने की चिंता छोड़कर दूसरों के लाभ के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की जीवन का अर्थ है दूसरों की सेवा करना। सामाजिक कार्य करना चाहिए। समाज सेवा ही सच्चा धर्म है। जीवन की चिंता नहीं करनी चाहिए।
28. एहसान वापस की कहानी : Akbar Birbal Short Stories in Hindi For Class 4 With Pictures
बेलापुर नाम का एक छोटा सा गाँव था, गाँव में मोहनभाई नाम का एक गरीब किसान रहता था। मोहनभाई बहुत दयालु और प्यार करने वाले थे।
उनकी एक लड़की थी। उसका नाम लता था। लता में पिता के सभी गुण अवतरित हुए। लता बचपन से ही बहुत बुद्धिमान, दयालु और प्यारी थी। वह गांव के छोटे-बड़े सभी काम करती थी।
इसलिए गांव वाले भी उसे बहुत प्यार करते थे। इतना ही नहीं, लता को पशु-पक्षी भी बहुत प्रिय थे। वह अपने घर और आँगन में अनाज और पीने के पानी की व्यवस्था करती थी ताकि पशु-पक्षी भूखे न रहें।
एक बार लता के स्कूल द्वारा पिकनिक का आयोजन किया गया था। सभी बच्चे पिकनिक पर जाने के लिए खुश थे।
लता को भी पिकनिक पर जाना था, इसलिए वह अपने पिता से 25 रुपये लेकर स्कूल जा रही थी। रास्ते में उसने एक आदमी को पिंजरे में बंद बाज के साथ देखा। पिंजरे में बंद बाज़ को देखकर लता बहुत दुखी हुई।
वह वहाँ गइ और उस आदमी से पूछा कि तुम इस बाज़ का क्या करोगे? तब उस आदमी ने कहा कि वह बेचकर पैसा कमाएगा। यह सुनकर लता ने सोचा कि किसी तरह मुझे इस बाज़ को पिंजरे से बचाना है।
उसने उस आदमी को पिकनिक के पैसे देकर बाज़ को खरीद लिया। फिर बाज़ खाना खिलाया,पानी पिलाया गया और बाज को पिंजरे से उड़ा दिया।
बाज़ को खुशी से उड़ता देख लता बहुत खुश हुई। लता बाज की आजादी की खुशी में पिकनिक पर न जाने का गम भूल गयी।
एक बार लता स्कूल जा रही थी। रास्ते में एक सांप उसके सामने आ गया।
सांप को देखकर लता बहुत डर गई। रोना शुरू कर दिया।आसपास कोई नहीं था, इसलिए कोई उसकी आवाज नहीं सुन सकता था। यह सोचकर कि उसे सांप काट लेगा, लता ने अपनी आंखें बंद कर लीं और भगवान से प्रार्थना करने लगी।
तभी चमत्कार हुआ और कहीं से वह बाज आया।
बाज ने देखा कि उसकी जान बचाने वाली लता संकट में है। सांप लता को काटने ही वाला था तभी बाज ने अपनी चोंच से सांप को पकड़ कर उड़ गया।लता ने आँखें खोलकर देखा। वह बस यही सीन देखती रही। तब लता ने मनोमन बाज को धन्यवाद दिया।
इस प्रकार लता ने मनुष्य के पंजों से बाज़ की जान बचाई और बाज़ ने साँप के मुँह से लता की जान बचाई।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें भी उपकारकों को कभी नहीं भूलना चाहिए।
29. पेड़ के महत्व की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 5 With Pictures
एक लकड़हारा था। वह हर दिन लकड़ी काटता है और परिवार की देखभाल करता है। वह सूखी लकड़ी काटकर बाजार में बेचता है और उससे घर की जरुरत का सामान लाता है। मतलब की रोज कमाता है और रोज खाता है।
उसका छोटा बेटा जयदेव उसे वह गीत सुनाया करता था जो वह प्रतिदिन स्कूल से सीखता था। लकड़हारा बच्चे को कालीघेली भाषा में गाते हुए सुनना पसंद था । संस्कार के गीत सुनकर लकड़हारा का हृदय हर्ष से भर जाता था।
एक दिन उनके बेटे जयदेव ने एक बहुत ही सुंदर गीत सुनाया “तुम मारो ना कुल्हाड़ी के गाव्।।।, पेड़ के है इंसान पर बहोत बड़े उपकार”। यह सुनकर लकड़हारा को मन में बहोत सारे ख़याल आने लगे माँनो ऐसा लग रहा था कि यह गीत सब पेड़ सुन रहे हो।
हर दिन लकड़ी के कुछ टुकड़े काटने के बजाय, लकड़हारा पूरा पेड़ को काटने के लिए तैयार हुआ। तब अचानक उनके पेट में दर्द हुआ तो उन्होंने पेड़ के पत्तों का रस पी लिया और आराम मिला।
जहां लकड़हारा ने कुल्हाड़ी मारने की कोशिश की, वहीं पेड़ से एक कोयल का गीत सुनाई दिया और उसे अपने बेटे का गीत याद आ गया। कोयल की आवाज में बेटे के शब्द व्यक्त हो रहे थे।
लकड़हारा पेड़ से चिपक गया और रोने लगा। मैं उस पेड़ को कभी नहीं काटूंगा और नए पेड़ लगाकर मैं पाप का प्रायश्चित करूंगा। इस संकल्प से कठियारा को अपार शांति का अनुभव हुआ।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें पेड़ को नहीं काटना चाहिए।और नए पेड़ लगाने चाहिए।
30. सोने की चिड़िया और दयालु रानी की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 6 With Pictures
जंगल में एक बड़े पेड़ पर एक सुनहरी चिड़िया रहती थी। जब उसने गाया, तो उसकी चोंच से सोने के मोती गिरे।
एक दिन एक पारधी की नज़र उस पर पड़ी। उसकी चोंच से सोने के मोती गिरते देख वह हैरान रह गया। अगर उसे यह पक्षी मिल जाए तो उसकी किस्मत खुल जाएगी।
पारधी धीरे-धीरे करीब गया और जाल बिछाकर उसे पकड़ लिया। वह पक्षी के साथ घर आया। उसने सोचा: अगर यह अजीब तरह की चिड़िया राजा के कानों तक पहुँचती है, तो मैं मुश्किल में पड़ जाऊँगा। इस पक्षी को मैं ही राजा को भेंट कर दूं तो अच्छा है। इससे राजा मुझ पर प्रसन्न होगा और मेरे मान-सम्मान में वृद्धि होगी।
पारधी ने दरबार में जाकर इस पक्षी को राजा को भेंट किया। प्रसन्न राजा ने बदले में पारधी को शाही दरबार में जगह दी। राजा ने पक्षी के लिए एक सोने का पिंजरा बनाया और उसमें रख दिया।
लेकिन उस दिन से चिड़िया ने गाना बंद कर दिया। फिर सोने के मोती कहाँ से आते हैं? राजा ने बहुत कोशिश की लेकिन चिड़िया नहीं गाई। पिंजरे में चुपचाप बैठे रहे।
राजा ने यह पक्षी अपनी प्यारी रानी को दे दिया। रानी बहुत दयालु थी। उसे पिंजरे में बंद मूक पक्षी पर दया आ गई। वह समझ गया कि चिड़िया क्यों नहीं गाती। एक पिंजरे में बंद पंछी आजादी चाहता था। उसने पिंजरे का दरवाजा खोला।
चिड़िया पिंजरे से बाहर निकली और महल के बगीचे में एक पेड़ पर बैठ गई।
उसने बोला, “हे रानी, तुम बहुत प्यारी और दयालु हो। आपने मुझे आजादी दी है।”
इतना कहकर वह मधुर स्वर में गाने लगी। रानी ने चिड़िया चोंच से सोने के मोती गिरते देखा!
गाना गाने के बाद चिड़िया बोली।
“रानी। मैं रोज सुबह बगीचे में आऊंगी। और गाना गाउंगी।”
यह कह कर चिड़िया आकाश में चली गइ !
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें ‘गूंगे जानवरों पर दया करो’ यही मानवता है।”
31. दान के महत्व की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 7 With Pictures
दोस्तों! जीवन में दान का बहुत महत्व है। हमें जीवन में दान करना चाहिए जैसे अन्नदान, वस्त्र दान, शिक्षा दान या रक्तदान।
एक भिखारी था। वह सड़कों पर भीख मांगता था। वहाँ उसने एक रथ देखा। उसमें एक बड़ा राजकुमार बैठा था। भिखारी बहुत खुश हुआ। उसने मन ही मन सोचा, अब मेरे दुख के दिन समाप्त हो गए हैं। यह राजकुमार आता है, वह मुझे जीवन बिताने के लिए पर्याप्त धन देगा।
वह रथ भिखारी के पास आता था। उसमें बैठे राजकुमार ने भिखारी की ओर देखा और मुस्कुरा दिया। वह रथ भिखारी के पास आकर खड़ा हो गया।
राजकुमार रथ से नीचे उतरे और भिखारी की ओर हाथ बढ़ाया। राजकुमार ने भिखारी से कहा, ‘क्या तुम्हारे पास मुझे दान करने के लिए कुछ है? तो मुझे दे दो।’
भिखारी हैरान रह गया और बोला ये कैसा मज़ाक है! भिखारी से भीख माँगना चाहते हैं? भिखारी ने अपने थैले से खाने के दो दाने निकाले और उसे दे दिए। वहां से भिखारी दूसरी जगह गया और अपना थैला खोला। जब थैले में से सोने के दो दाने निकले तो भिखारी समझ गया। वह आश्वस्त था कि यह स्वयं भगवान थे।
तो दोस्तों, अब आप समज गए होंगे कि जीवन में दान करना कितना महत्वपूर्ण है! अगर उस भिखारी ने सारा अनाज दान कर दिया होता तो सारा अनाज सोना बन चुका होता।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की जीवन में दान अवश्य करना चाहिए।
32. आत्मविश्वास की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 8 With Pictures
नितिन नाम का छात्र राधनपुर गांव के स्कूल में पढ़ता था। नितिन नियमित स्कूल आता था। नितिन को स्कूल आना अच्छा लगता था। सभी बच्चों के साथ खेलना और पढ़ना अच्छा लगता था, लेकिन नितिन पढ़ने में थोड़ा कच्चा था। उसकी पढ़ने की क्षमता कमजोर थी। इस कारण उन्हें अन्य विषयों में भी काफी कठिनाई होती थी।
स्कूल के शिक्षकों ने नितिन के साथ सकारात्मक व्यवहार किया। उसे पढ़ना सिखाने की कोशिश की, लेकिन नितिन सुधर नहीं रहा था। नितिन अभी पढ़ने में कमजोर था। नीतिन ने मन ही मन सोचा कि वह मूर्ख है। मैं कभी पढ़ नहीं पाऊंगा, इस मानसिकता के कारण उसने पढ़ने पर ध्यान नहीं दिया। वह पढ़ने में लापरवाह हो गया। उसे पढ़ने से नफरत थी।
वह घूम रहा था। वह खेलकूद करता था। वह अन्य काम भी लगन से करता था, लेकिन स्कूल की किताबें पढने में उसकी बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी, क्योंकि वह खुद को मूर्ख समझता था। इस मानसिकता के कारण उन्हें खुद पर विश्वास नहीं हो रहा था।
वह जानता था कि मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ, मैं कभी पढ़ नहीं सकता। इस वजह से नितिन की पढ़ाई में सुधार नहीं हो रहा था।
थोड़े दिनों बाद राधनपुर की स्कूल में नए शिक्षक के भरती हुई।उस शिक्षक ने सबसे पहले सभी बच्चो की पठन कौशल का परीक्षण किया। इसमें नितिन पढ़ने में काफी कमजोर पाए गए। टीचर ने नितिन से बात की तो नितिन ने कहा, ‘सर, मैं बेवकूफ हूं और मुझे पढ़ना नहीं आता।’
सर, मैं पांच साल से स्कूल में पढ़ रहा हूं। मेरे साथ पढ़ने वाले अन्य छात्र मुझसे बेहतर पढ़ते हैं, लेकिन आप देखिए, मैं अभी भी अच्छा नहीं पढ़ सकता।” नितिन ने कहा।
शिक्षक कहते हैं, ‘नितिन, तुम पढ़ सकते हो। आप भी होशियार हो सकते हैं। आपको जितना हो सके उतने आत्मविश्वास के साथ पढ़ना शुरू करना होगा।’
क्या मुझे पढ़ना आ सकता हैं सर? क्या मैं होशियार हो सकता हूँ?’
‘हाँ… हाँ… तुम भी अच्छा पढ़ सकते हो और तुम भी होशियार हो सकते हो।’
‘मुझे उसके लिए क्या करना होगा?’
शिक्षक ने कहा…चाहे आप इधर-उधर घुमाने में, खेल ने मैं या टीवी देखने में सारा समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए। आपको पढ़ने में समय बिताना चाहिए और आश्वस्त होना चाहिए कि मैं पढ़ सकता हूं।’
शिक्षक द्वारा बताए अनुसार नीतिन ने भरोसे के साथ पढ़ना शुरू कर दिया।
पहले नितिन ने सारे अक्षर पहचान लिए। फिर उसने बाराक्षरी का उच्चारण करना सीख लिया। उन शब्दों के बाद धीरे धीरे वाक्य को पढ़ना सीखा इस प्रकार, नितिन अब पढ़ने में अच्छा बन गया
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की आत्मविश्वास से कार्य करने से कुछ भी संभव हो जाता है।
33. हंस और कौए की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 9 With Pictures
नंदवन में एक छोटा सा सरोवर था। सरोवर के ठंडे पानी में एक राजहंस रहता था। वह बहुत सुन्दर था। इस झील के पास एक पेड़ पर एक दुष्ट कौआ रहता था। वह हंस की सुंदरता से ईर्ष्या करता था। एक दिन थका हुआ शिकारी नंदवन के पास सरोवर पर आ गया। सरोवर का शीतल जल पीकर वह सोने लगा।
कुछ पलों के बाद, सोते हुए शिकारी के चेहरे पर सूरज की चमक टकराने लगी।यह देखकर दयालु हंस को दया आ गयी।राजहंस उस पेड़ पर बैठ गया और उसने अपने दूधिया गुलाबी पंख फैला दिए, जिससे शिकारी के चेहरे पर जहा सूरज की तेज रोशनी टकरा रही थी वहा शीतल छाया पड़ गई।
हंस का परोपकारी स्वभाव और शिकारी का आराम से सोना उस ईर्ष्यालु कौवे को अच्छा नहीं लगा। उसने शिकारी को परेशान करने की सोची, यह सोचकर कि शिकारी उस राजहंस को मार डालेगा, कौआ शिकारी के पास आया।
कौए ने शिकारी के सिर पर चोंच मारी और उड़ गया। कौए की वजह से शिकारी की नींद उड़ गई। वह गुस्सा हो गया। उसने ऊपर देखा कि एक हंस पंख फैलाए बैठा है।शिकारी को लगा जरुर मुझे इस हंस ने ही चोंच मारी है। जैसे कि हंस को मारने के लिए शिकारी ने तीर चलाया तब राजहंस ने उसकी आवाज सुनकर उड़ गया …
कौआ हंस को बचा हुआ देखकर..का…का करके अपनी भडाश निकालने लगा।
अब क्रोधित शिकारी ने कौए पर भी तीर चला दिया से कौवे को चोटिल कर दिया।
किसी ने ठीक ही कहा गया है कि बुरे विचारों का परिणाम भयानक होता है। उस राजहंस को घायल कौए पर दया आ गई। उसने घायल कौए का इलाज किया और दोनों के बीच दोस्ती हो गई…
कुछ दिनों के बाद शिकारी को कौए ने हंस की परोपकार की सब बात कह दी…
जिसके बदले में शिकारी राजहंस और कौए के लिए कुछ फल और खाना लेकर आया…
बच्चो ,परोपकारी व्यवहार… कर्म और विचार अच्छे इंसान को भी नेक बना देते हैं।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की परोपकार सज्जन का सौंदर्य है, जो दुर्जन को भी सज्जन बना देता है।
34. दयालु राजा की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 10 With Pictures
एक सुंदर नगर था। उसमें एक दयालु राजा रहता था। राजाको रानी और बच्चे थे। वह राजा कभी क्रोधित नहीं होता था। यदि बच्चे या रानी कोई गलती करते थे, तो वह धीरे से समझाता था।
एक दिन राजा को नगर से बाहर जाना पड़ा। वह यह जानने निकला कि यह दूनिया कैसी है। राजा के नगर में लोग शराब, बीड़ी, तम्बाकू आदि व्यसन करते थे और घर में तबाही मचा रहे थे।
उन नशेडीओ को उनकी पत्नी और बच्चों को मारते देख राजा बहुत दुखी हुआ, इसलिए राजा ने सबको इकट्ठा किया और समझाया कि मुजे लगता था कि मेरे नगर के लोग अच्छे होंगे, लेकिन तुम यह कैसा व्यसन कर रहे हो? हमें इस व्यसन से दूर रहना चाहिए क्योंकि यह बहुत खराब है। तब नगर के पुरुषों ने नियम लिया कि इस दिन के बाद हम ये व्यसन नहीं करेंगे।
फिर लोगों ने वह नशा छोड़ दिया तो घर अच्छा हो गया, लोग कमाने लगे और घर अच्छा चलने लगा।
अब राजा ने वनमे जाने का निश्चय किया तो राजा वन को चला गया तब उसने देखा कि जंगल में शिकारी जानवरों को मार रहे हैं तो राजा ने सोचा कि इस तरह से तो सारे जानवर मल जाएंगे और जानवरों की संख्या कम हो जाएगी।
तो राजा ने शिकारियों को बुलाया और कहा कि तुम इन जानवरों को क्यों मार रहे हो? तुम लोग सबसे बड़ा पाप कर रहे हो।
शिकारियों को राजा की बात बहुत अच्छी लगी और उन्होंने वचन दिया कि हम कभी भी जानवरों या अन्य जीवों को नहीं मारेंगे और न ही मारने देंगे।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की जो मित्र बुरा काम कर रहे हों उन्हें रोक देना चाहिए। और उसे प्यार से समजाना चाहिए और वचन लेना चाहिए कि वह फिर कभी बुरा काम नहीं करेगा।
35. हाथी और चींटि की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 11 With Pictures
एक थे हाथीभाई। शरीर से तो विशाल थे लेकीन स्वभाव से थे शांत। रोज सुबह अपने आवास से दूर नदी तट पर चरने जाते हैं, रास्ते में जंगल होने के कारण रास्ते में कई जानवर और जीव जंतु मिल जाते हैं। सभी के हाल चाल पूछ ते हूये आगे बढ़ते थे।
बरगद के पेड़ के तने में चींटियाँ रहती हैं। उसमें एक बहुत ही बुद्धिमान चींटी थी। वह बहुत दीनो से हाथीभाई को देख रही थी और कुछ सोच रही थी। चींटी अपने परिवार को बताती थी। ये विशालकाय हाथी भाई कितने कोमल हृदय के हैं। क्या होगा अगर वे चलते समय जंगल में हमारा और अन्य जानवरों का ध्यान नहीं रखेंगे? हाथीभाई से बहोत कूछ हमे सीखना चाहीये।
एसे करते करते बहुत समय बीत गया। एक दिन शाम को वापस मुड़ते समय हाथीभाई के पैर में कांटा लग गया। कांटा पैर में जा घुसा। हाथीभाई काँटे की वजह से चल भी नहीं सकते थे और उनकी सेहत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। तीन-चार दिन तक हाथीभाई को न देखकर चींटी सहित वन के अन्य जीव-जंतुओं को चिंता होने लगी।
चींटी अपने परिवार के साथ उन्हें देखने के लिए हाथीभाई के घर जाती है। वहा जाके देखा तो हाथी भाई बीमार और कमजोर पड़े हैं। यह देखकर चींटी बहुत दुखी हुई। हाथीभाई के साथ क्या हुआ यह सब जानकर, वह जंगल से अन्य चींटियों को दवाइ के लीये पौधों की पत्तियों को इकट्ठा करने के लिए भेजती है,उन पत्तियों से हाथीभाई ठीक हो सकते हैं। जंगल में चींटियों को भागता देख अन्य जानवर भी हाथीभाई की मदद के लिए आ जाते हैं।
चींटी सहित सभी हाथीभाई की सेवा में शामिल हो जाते हैं। वह सब हाथी को लगे कांटे का घांव साफ करता है। कोई उन्हें चारा खिलाता है। समजू चींटी पौधे का रस घाव पर लगाती है और पट्टी बांध देती है। इस तरह सबकी मदद से हाथीभाई थोड़े ही दिनों में ठीक हो गए। हाथीभाई ने सभी का धन्यवाद किया और चींटी बहन की बुद्धिमत्ता की प्रशंसा की।
हाथी भाई के ठीक होने की खुशी में जंगल के सभी पशु-पक्षी और जीव जंतूओ ने वन उत्सव मनाया। और संकल्प लिया कि हम हमेशा साथ रहेंगे और मुसीबत के समय एक दूसरे की मदद करेंगे।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें दुःख की घडी में एक-दूसरों की मदद करनी चाहिए।अपने मनुष्य समाज में भाईचारा बनाये रखना चाहिए।आपसी सहयोग भी करना चाहिए।
36. दयालु युवक और गुरिल्ला युद्ध की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 12 With Pictures
यह कई साल पहले की बात है। उस समय लोग राजा से बहुत डरते थे। राजा के सिपाही प्रतिदिन गाँव में आते थे और लोगों से पैसे और अनाज ले लेते थे। गाँव के पास एक बड़ा जंगल था। उस जंगल के अंदर एक झोपड़ी में एक युवक रहता था। युवक जंगल के फल, फूल और कंद खाकर बड़ा हुआ। वह स्वयं शस्त्र कला में निपुण हो चुका था, उसे स्वयं पर विश्वास था कि एक दिन वह एक धनी व्यक्ति बनेगा।
एक दिन राजा ने सिपाहियों को कहा, सिपाहियों, हमारे जंगल में शेर का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। तुम सब जाओ और उसे पिंजरे में बंद करदो।सभी सिपाही जंगल के लिए रवाना हो गए। जंगल में आगे बढ़ते रहे और उन्हें जंगल में एक बुढा शेर दिखा। सिपाहियों ने शेर को पकड़ लिया।
उसी समय जंगल के अंदर रहने वाला युवक अपने भोजन की तलाश में निकला तो पता चला कि सिपाहियों ने एक शांत वन प्राणी शेर को पकड़ लिया है। वह उसे बचाने के लिए दौड़ा। युवक ने सभी सिपाहियों को भगाकर शेर को बचा लिया।
तब शेर ने युवक से कहा, ‘ईश्वर तुम्हारी सभी इच्छाएं करे’ और शेर वहां से चला गया। कुछ ही देर में सिपाही दौड़ते हुए महल में आ गए। यह देखकर राज बोला, “क्या शेर तुम्हारे पीछे आया है। तुम सब तेजी से दौडकर वापस क्यों आये??
एक सिपाही ने कहा, ‘हमने शेर को पकड़ लिया, लेकिन एक जवान लड़का शेर को छुडाकर ले गया। यह सुनकर राजा को बड़ा गुस्सा आया और बोला, “कौन है वह युवक, मुझे उसके पास ले चलो। राजा लश्कर के साथ युवक को पकड़ने जंगल में गया।
युवक को पता चल गया गया। उसने सेना का सामना किया। उसने छापामार युद्ध पद्धति(गुरिल्ला युद्ध) से राजा के सभी सिपाहियों को हरा दिया। राजा भी घायल हो जाएगा। सिपाही सब भाग खड़े हुए। घायल राजा गिर गया था। युवक राजा को अपनी झोपड़ी में ले
गया और जंगल से औसधि या की दवाई पाई और राजा को ठीक किया। कुछ ही दिनों में
राजा स्वस्थ हो गया।
यह भी पढ़े : गुरिल्ला युद्ध पद्धति से कैसे दुश्मन को हराया जाता है
राजा ने युवक से पूछा, “तुम्हारे चारों ओर कोई रहता नहीं है फिर भी तूने शस्त्रविद्या कैसे सीखी??” तब युवान ने बड़े नम्रता से कहा, ” शस्त्रविद्या को सीखने के लिए गुरु की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन हममें सीखने की इच्छा है तो हम ही अपने गुरु बन सकते है। फिर युवान को राजा ने दूसरा प्रश्न किया, “तुमने शेर को कैसे छुडाया?
तब के युवक ने बड़े नम्रता से कहा, – “जैसे हम अपने शरीर का निर्वाह करने के लिए अन्न खाते हैं। वैसे ही बिचारा शेर अपने शरीर का निर्वाह करने के लिए छोटे बड़े प्राणीओ का शिकार करके अपना पेट भरता है।”
युवान के जवाब से राजा बहुत खुश होता है। उसके मन में विचार आया कि इस राज्या की प्रजा को मेरे जैसे स्वार्थी व्यक्ति की नहीं, लेकिन इस नवयुवान जैसे उदार राजा की आवश्यकता है। राजा ने महल में युवक से मुलाकात की और पुरे राज्या के लोगों को दरबार में बुलाया और युवक का राजतिलक किया और राजा उत्तराअधिकारी बनाकर राजा घोषित कर दिया।
राज्या के लोग बहोत खुश हों गएग। युवक भी बहोत खुश था। अब युवा राजा ने राज्य के लोगो से अनाज और पैसा लेने का बंध करवा दिया। और इस से हुआ यु की राज्य की प्रजा और राजा सुखी जीवन जीने लगे।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें वन्य प्राणीओ के प्रति दुश्मनी का भाव नहीं रखना चाहिए.और हमें दयालु बनना चाहिए।
37. कौआ और उल्लू की कहानी : Panchatantra Stories in Hindi With Pictures
एक बड़ा जंगल था। उसमें एक बड़ा बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर एक कौआ और एक उल्लू अगल-बगल अपने अपने घोसले बनाके रहते थे। एक बार बातचीत हुई और दोनों में झगड़ा हो गया। उल्लू कहता है, यह पेड़ मेरा है। तो तुम यहां से चले जाओ। कौआ कहता है, यह पेड़ मेरा है। तो तुम यहां से चले जाओ।
इस प्रकार दोनों एक दूसरे को मारने के लिए दौड़ते हैं। क्रम में दिन में उल्लू को और रात में कौवे को आँखों से नहीं देखा जा सकता है। जैसे उल्लू दिन को अंधा होता है, वैसे ही कौआ रात को अंधा होता है। उल्लू रात में कौवे को जहां भी देखता है उस पर हमला कर देता है और उसके पूरे घोसले को बिखेर देता है। और दिन में उल्लू को दिखाई न देने से कौआ फायदा उठा कर उल्लू को अपनी चोंच से से मारता है।
और इस प्रकार कौवा दिन में उल्लू से बदला लेता है और उल्लू रात में कौए से बदला लेता है। इस तरह दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन गए। मानो वे “एक दूसरे को मारने के लिए ही जीवित रहते थे”
जब कौवा उल्लू को मारता था तब जाके उसका दिन सफल होता था और जब उल्लू कौवा को मारता था तो उसकी रात सफल हो जाती थी ऐसा वो दोनों सोचते थे।
अब यह बात धीरे-धीरे पक्षियों के राजा गरुड़ के पास पहुँची। एक दिन इस बरगद के पेड़ पर राजा गरुड़ आए। उसने कौवे और उल्लू को अपने पास बुलाया और उन दोनों से पूछा, “क्या, तुमने इस बरगद के पेड़ का बीज बोया है? कौए ने कहा, “नहीं”। उल्लू ने भी सिर हिलाकर कहा “नहीं”।
गरुड़ राजा ने फिर से एक सवाल किया। क्या तुम दोनों ने इस पेड़ को पानी और उर्वरक दिया है? तो दोनों बोले “नहीं, नहीं,”। क्या इस पेड़ को बड़ा तुम दोनों ने किया है?? दोनों ने “नहीं” कहा।
अब गरुड़ राजा बोले: तो फिर यह पेड़ तुम्हारा कैसे कहलायेगा? सही अर्थ में इस पेड़ का मालिक ‘प्रकृति’ कहलाती है, जिसने इसे बीज, जल, प्रकाश, वायु देकर बड़ा किया है। इसलिए इस पेड़ पर हर पक्षी का समान अधिकार है। प्रकृति की द्रष्टि से सभी समान हैं। इसलिए बदले की भावना को भूल जाओ, आपसी मतभेद को भूल जाओ और इस सारी कीमती संपत्ति का उपयोग करो जो प्रकृति ने तुम्हें दी है।
गरुड़राज की इतनी अच्छी बात सुनकर कौआ और उल्लू दोनों शर्मिन्दा हो गए। कौए ने उल्लू से और उल्लू ने कौए से आपसी माफ़ी मांगी। यह देखकर पक्षीराज गरुड़ बहुत प्रसन्न हुए। फिर कौआ और उल्लू दोनों एक साथ मिलकर रहने लगे।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हम सब को प्रकृति के दिए हुए इस अनमोल वातावरण का मिलकर आनंद लेना चाहिए।
38. पानी की समस्या की कहानी : Akbar Birbal Stories in Hindi With Pictures
एक सुंदर जंगल था। जंगल सुंदर और हरा-भरा था, हर किसी का मन मोह लेने वाले इस खूबसूरत जंगल हरियाली और छोटे-बड़े पेड़ों से सुशोभित था। लताओ भी समीर(हवा) के साथ मस्ती कर रही थी। इस वन की आसपास के सभी क्षेत्रों में सराहना होती थी।
वन में सभी पशु-पक्षी मिल झूल कर रहते थे। जंगल का राजा भी बड़ा परोपकारी, दयालु और ईमानदार था। जब भी किसी को जरूरत होती, वह दौड़कर सभी के संकट में मदद करता, और जंगल के सभी पशु और पक्षी खुशी से एक साथ रहते, विविधता में एकता रखते थे। सभी धर्म की भावना में एकजुट रहते थे।
जंगल के सभी जानवर अपने बच्चों की देखभाल करते थे और अच्छे संस्कारों का सिंचन करते थे। और सब मिल कर सभी त्यौहार को हर्ष और उल्लास के साथ मनाने लगे, लेकिन जंगल के अंदर एक बड़ी समस्या थी, जिसके कारण असंख्य पशु-पक्षी मर गए और गर्मी में जंगल भी वीरान हो गया, लेकिन इस समस्या का समाधान कौन करेगा? वह बड़ा सवाल था।
जंगल में सबसे बड़ी समस्या पानी की थी। गर्मियां आते ही सूख जाती और दूर जाने पर भी पानी नहीं मिलता और सूखे की स्थिति पैदा हो जाती। यह उनकी बड़ी समस्या थी, लेकिन यह अकेले नहीं किया जा सकता था।
एक दिन जंगल का राजा शेर के बिल के अंदर आराम कर रहा था और अचानक उसे एक विचार आया कि यदि सभी पशु-पक्षी जंगल के अंदर एक झील खोद लें तो मानसून में पानी भर जाएगा और सभी की समस्या हल हो जाएगी।राजा ने सभा बुलाई और झील के बार में पक्षियों से पूछा गया, और सभी ने इस सवाल पर सहमति व्यक्त की और सहयोग करने के लिए कहा और अगले दिन से सभी पशु-पक्षी जल्दी उठे और काम करने लगे और शाम तक झील खोद डाली और सभी खुश थे और मनोमन सोचने लगे की यह साल हमारा बहोत अच्छा जाएगा।
कुछ दिनों के बाद आषाढ़ मास प्रारंभ हुआ और आषाढ़ बीज के बाद वर्षा हुई और झील भी पानी से लबालब हो गया। और सभी राजा पर खुश हो गए और सारे पशु पक्षिओ की परेशानी भी दूर हो गई और सभी जानवर वन के राजा को धन्यवाद देने लगे और पूरा जंगल राजा की जयजयकार करने लगे। और अब सभी पशु पक्षी ख़ुशी से रहने लगे।
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की यदि जीवन में कोई भी समस्या आये, यदि हम एक-दूसरे का सहयोग करें, तो वह समस्या आसानी से सुलझ जाती है।
39. राजा और पक्षी की कहानी : Tenali Rama Stories in Hindi with Pictures
एक राजा थे। उसने एक सुन्दर झील बनवाई। इस झील में बहुत से कमल खिले हुए थे।
झील सुन्दर थी. उसमें राजहंस रहते थे। ये राजहंस साल में दो बार सुनहर पंख देते थे। इस तरह राजा को सुनहरे पंख प्राप्त होते थे। इसके अलावा राजा इस मुलायम पंख को अपने सिंहासन पर सजाते थे।
एक दिन राजा झील के किनारे बैठा उसकी सुन्दरता को निहार रहा था। उसी समय एक अद्भुत पक्षी वहाँ उड़ता हुआ आया। सूरज की रोशनी में उसका रंग सुनहरा निखर उठा। पक्षी झील के ऊपर चक्कर लगाता रहा, लेकिन उसमें उतरा नहीं था।
राजा के मन में यह विचार आया, “चूंकि झील में हंस हैं, इसलिए यह पक्षी नीचे नहीं आता है। ये हंस साल में एक या दो बार सुनहरे पंख देते है । अगर पूरी चिड़िया सोने की मिल जाए तो कितना अच्छा होगा !और फिर, जैसे-जैसे इस पक्षी का वंश बढ़ता जाएगा, पूरी झील सुनहरे पक्षीओ से भर जाएगी!” ऐसा सोचकर, राजा ने राजहंसों को झील पर से उड़ा दिया ।
राजा की कल्पना सच हो गई। राजहंस उड़ गये। उसके तुरंत बाद वह सुनहरा पक्षी झील में उतरा और कमल के फूल पर बैठ गया ।
राजा अब सोचने लगा कि यह पक्षी अपने सोने के पंख कब गिराएगा। एक दिन इस पक्षी ने एक साथ दो-दो पंख गिराए । राजा ने दौड़कर उस पंख को ले लिया।
लेकिन उसने देखा कि पंख सुनहरे पंख नहीं थे लेकिन सिर्फ उसका रंग सुनहरा था. अब राजा को बड़ा पश्चाताप हुआ। लेकिन अब पछताएं क्या?
शिक्षा
यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की अत्यधिक लालच पाप की जड़ है।
बच्चों को कहानी सुनाकर सुलाने के फायदे
दोस्तों देखा जाए तो छोटे बच्चो को कहानिया सुनाने की प्रथा बरसो पुरानी मानी जाती है।कहानीयो की दुनिया छोटे बच्चो को बहोत ही रोमांचक लगती है।हमारी बात की जाए तो हम भी छोटे थे तब कहानी सुने बिने सोते ही नहीं थे।
राजा की कहानिया,अकबर-बीरबल की कहानिया जैसे कहानियों से बच्चो को बहोत ज्यादा सिखने को मिलता है।
दोस्तों ऐसा नहीं है की सिर्फ बच्चो को ही सिखाने को मिलता है।बड़ो को भी इन कहानिओ से कुछ अच्छा सिखाने को जरुर मिलता है।
लेकिन अब समय बदल चुका है।अब ज्यादातर बच्चे कहानिया सुनते ही नहीं है और मोबाइल या कंप्यूटर में लगे रहते है।ज्यादा मोबाइल यूज करना बच्चो के लिए नुकसान ही करता है।लेकिन ज्यादा से ज्यादा कहानी सुनना बच्चो के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।
चलिए दोस्तों बिना समय गवाए हम आपको बताते है की कहानीयाँ सुनने के फायदे कौन कौन से है।
1. दूसरों की बात सुनने का गुण विकसित होता है
देखा जाए तो आज कल लोक दुसरे की बाते कम सुनते है और अपनी ही बात बोले जाते है।लेकिन यह एक अच्छा गुण नहीं है।अध्यनो से पता चलता है की जो बच्चे कहानिया सुनते है उनमे दुसरे व्यक्ति की बाते गौर से सुनते है।और उन बच्चो में सुनने का गुण पनपता है।और बच्चे अच्छे श्रोता बनाते है।इसलिए बच्चो को कहानिया जरुर सुनानी चाहिए।
2. अपनी भाषा पर पकड़ बनती है
कहानिया सुनने और फिर याद करके बोलने से बच्चो में भाषा पर पकड़ बनती है।और वो जल्द से जल्द अपनी भाषा सिखाता जाता है।
3. अपनी संस्कृति के बारे में जानने का मौका मिलता है
दोस्तों हम बच्चो को राजा-रानी की कहानी,इतिहास की कहानिया सुनाते है जिससे बच्चो को अपनी पुरातन संस्कृति और इतिहास के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने को मिलता है।जो की एक बहोत अच्छी बात है।
4. बच्चो की कल्पना शक्तिमें बढ़ोतरी होती है
जब आप बच्चो को कहानिया सुनाते है तब बच्चे कहानिके अनुसार सोचने लगते है की कहानी कैसे चल रही है।बच्चो के माइंड में कहानिकी वो सब बाते चल रही होती है।जिससे बच्चो की कल्पना शक्ति में बढ़ोतरी होती है।और सोचने की शक्ति में रचनात्मकता आती है।
5. बच्चो का विकास होता है
दोस्तों कहानिया सुनाने से बच्चो के मगज का विकास होता है।किसी भी चीज पर ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता बढती है।बड़े बच्चो में हिंदी कहानिया सुनने से बच्चे सामाजिक बनते है और उनमे कम्युनिकेशन स्किल बढती है।
दोस्तों यदि आपके बच्चो को होशियार और समजदार बनाना है तो आज ही समय निकालकर हमारे द्वारा लिखी गयी यह “Short Stories in Hindi” हिंदी कहानिया अपने बच्चो को सुनाना शुरू कर दीजिये।आपका बच्चा आपको निराश नहीं करेगा।आपका और आपके बच्चे में प्यार में इजाफा होगा।Try कीजिये गा बहोत अच्छा लगेगा 🙂
हमें क्यों Short Stories in Hindi पढ़नी चाहिए?
दोस्तों हमें Short Stories in Hindi इसलिए पढ़नी और सुननी चाहिए क्योकि अपने जीवन में कहानिओ से बहोत कुछ सिखने को मिलता है.जिससे हमें एक अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है.
क्या आपको भी Short Stories in Hindi पढ़ना पसंद है?
जी हां दोस्तों Short Stories in Hindi पढ़ना बहोत पसंद है।
क्या मुझे यहाँ पर Short Motivational Stories in Hindi पढ़ने को मिलेगी?
जी बिलकुल आपको इस आर्टिकल में सबसे अच्छी मोटिवेशनल स्टोरी और बिलकुल नयी कहानिया पढने को मिलेंगी.
आपने क्या सिखा ??
तो दोस्तों हमारा ये प्रेरणादायक लेख Short Stories in Hindi with Moral for Kids कैसा लगा।अगर आपको लगता है की इस लेख में कुछ सुधार करने की जरुरत है,तो आप हमें कमेन्ट बॉक्स में टिपण्णी कर सकते है।हमारी हमेशा यही कोशिश रहती है बच्चों को प्रेरणादायक कहानियों के बारे में,हमारे पाठको को कुछ यूनिक कहानियों दी जाए।
यदि आपको लगता है की हमारे ये लेख Short Moral Story in Hindi पढ़ने से आपको कुछ सिखने को मिला है तो आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ Facebook,Whatsapp और Twitter पर शेर जरुर करियेगा।
धन्यवाद।
अन्य आर्टिकल भी पढ़े:
Nice